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पलक-नोंक / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
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मिले मरुभूमि में
शीतल पानी।
52
आश्लेष बँधे
ज्यों ये धरा -गगन
हम भी बँधे।
53
चूमती भोर
चुप झील का तन
तुम चूम लो।
<poem>
वीरबाला
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