"सच्च बताना साईं / पद्मा सचदेव" के अवतरणों में अंतर
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बम-गोली-बन्दूक उतारो | बम-गोली-बन्दूक उतारो | ||
इन की आँखों में न मारो | इन की आँखों में न मारो | ||
− | + | ख़ुशबुओं में राख उड़े न | |
+ | आगे आगे क्या होना है | ||
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+ | जम्मू आँखों में है रहता | ||
+ | यहाँ जाग कर यहीं है सोता | ||
+ | मैं सौदाई गली गली में | ||
+ | मन की तरह घिरी रहती हूँ | ||
+ | क्या कुछ होगा शहर मेरे का | ||
+ | क्या मंशा है क़हर तेरे का | ||
+ | अब न खेलो आँख मिचौली | ||
+ | आगे आगे क्या होना है | ||
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+ | दरगाह खुली , खुले हैं मन्दिर | ||
+ | ह्रदय खुले हैं बाहर भीतर | ||
+ | शिवालिक पर पुखराज है बैठा | ||
+ | माथे पर इक ताज है बैठा | ||
+ | सब को आश्रय दिया है इसने | ||
+ | ईर्ष्या कभी न की है इसने | ||
+ | प्यार बीज कर समता बोई | ||
+ | आगे आगे क्या होना है | ||
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11:08, 6 दिसम्बर 2010 के समय का अवतरण
सच्चो सच्च बताना साईं
आगे-आगे क्या होना है
खेत को बीजूँ न बीजूँ
पालूँ या न पालूँ रीझें
धनिया-पुदीना बोऊँ या न बोऊँ
अफ़ीम ज़रा-सी खाऊँ या न खाऊँ
बेटियों को ससुराल से बुलाऊँ
कब ठाकुर सीमाएँ पूरे
तुम पर मैं क़ुरबान जाऊँ
आगे-आगे क्या होना है।
दरिया खड़े न हों परमेश्वर
बच्चे कहीं बेकार न बैठें
ये तेरा ये मेरा बच्चा
दोनों आँखों के ये तारे
अपने ही हैं बच्चे सारे
भरे रहें सब जग के द्वारे
भरा हुआ कोना-कोना है
आगे-आगे क्या होना है।
बहे बाज़ार बहे ये गलियाँ
घर-बाहर में महकें कलियाँ
तेरे-मेरे आंगन महकें
बेटे धीया घर में चहकें
बम-गोली-बन्दूक उतारो
इन की आँखों में न मारो
ख़ुशबुओं में राख उड़े न
आगे आगे क्या होना है
जम्मू आँखों में है रहता
यहाँ जाग कर यहीं है सोता
मैं सौदाई गली गली में
मन की तरह घिरी रहती हूँ
क्या कुछ होगा शहर मेरे का
क्या मंशा है क़हर तेरे का
अब न खेलो आँख मिचौली
आगे आगे क्या होना है
दरगाह खुली , खुले हैं मन्दिर
ह्रदय खुले हैं बाहर भीतर
शिवालिक पर पुखराज है बैठा
माथे पर इक ताज है बैठा
सब को आश्रय दिया है इसने
ईर्ष्या कभी न की है इसने
प्यार बीज कर समता बोई
आगे आगे क्या होना है