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00:01, 2 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
झींगुरों की लोरियाँ
सुला गई थीं गाँव को,
झोंपड़े हिंडोलों-सी झुला रही हैं
धीमे-धीमे
उजली कपासी धूम-डोरियाँ।