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"सब ख़त्म हो गया / अलेक्सान्दर पूश्किन" के अवतरणों में अंतर

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03:53, 27 अगस्त 2022 का अवतरण

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: अलेक्सान्दर पूश्किन  » संग्रह: यह आवाज़ कभी सुनी क्या तुमने
»  सब ख़त्म हो गया

ओदेस्साई कन्या अमालिया रीज़निच के लिए

सब ख़त्म हो गया अब हममें कोई सम्बन्ध नहीं है
हम दोनों के बीच प्रेम का अब कोई बन्ध नहीं है
अन्तिम बार तुझे बाहों में लेकर मैंने गाए गीत
तेरी बातें सुनकर लगा ऎसा, ज्यों सुना उदास संगीत ।
 
अब ख़ुद को न दूँगा धोखा, यह तय कर लिया मैंने
डूब वियोग में न करूँगा पीछे तय कर लिया मैंने
गुज़र गया जो भूल जाऊँगा, तय कर लिया है मैंने
पर तुझे न भूल पाऊँगा, यह तय किया समय ने
 
शायद प्रेम अभी मेरा चुका नहीं है, ख़त्म नहीं हुआ है
सुन्दर है, आत्मीय है तू, प्रिया मेरी अभी बहुत युवा है
अभी इस जीवन में तुझ से न जाने कितने प्रेम करेंगे
जाने कितने अभी मर मिटेंगे और तुझे देख आहें भरेंगे ।

1824
मूल रूसी भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय

लीजिए, अब यही कविता मूल रूसी भाषा में पढ़िए
             Александр Пушкин
Все кончено: меж нами связи нет…

Все кончено: меж нами связи нет.
В последний раз обняв твои колени,
Произносил я горестные пени.
Все кончено — я слышу твой ответ.

Обманывать себя не стану вновь,
Тебя тоской преследовать не буду,
Прошедшее, быть может, позабуду —
Не для меня сотворена любовь.

Ты молода: душа твоя прекрасна,
И многими любима будешь ты.

1824 г.