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"पदचाप / रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'" के अवतरणों में अंतर
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+ | टूट गए रोष-भरे | ||
+ | सभी सम्बन्ध | ||
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+ | सुधियों की फिर से | ||
+ | घिरने लगी शाम। | ||
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+ | ले खाली नाव | ||
+ | टीस उठे बार-बार-बार | ||
+ | पुराने घाव | ||
+ | दिशाओं ने खींची | ||
+ | हवाओं की लगाम । | ||
+ | घिरकरके | ||
+ | नयनों में | ||
+ | बरस गए घन | ||
+ | बाट चुप, | ||
+ | हो गया है – | ||
+ | भरा-भरा मन | ||
+ | चलते ही चलते | ||
+ | उम्र हुई तमाम । | ||
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09:42, 4 नवम्बर 2022 के समय का अवतरण
आ रही पदचाप
बढ़ गई धड़कनें
लिखने लगी हवा
सुगन्धों से नाम ।
टूट गए रोष-भरे
सभी सम्बन्ध
निर्बल सिद्ध हो गए
पुरातन छन्द,
सुधियों की फिर से
घिरने लगी शाम।
लौट आए
तट पर
ले खाली नाव
टीस उठे बार-बार-बार
पुराने घाव
दिशाओं ने खींची
हवाओं की लगाम ।
घिरकरके
नयनों में
बरस गए घन
बाट चुप,
हो गया है –
भरा-भरा मन
चलते ही चलते
उम्र हुई तमाम ।