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जब-जब मैंने उठाई है कलम
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प्यार के बोल लिखने के लिए,
 
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मेरे काग़ज़ के पन्नों पर आकर लेट जाती है,
 
मेरे काग़ज़ के पन्नों पर आकर लेट जाती है,
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उसे बीचोंबीच से चीरते हुए,
 
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बहती रहती है नहर !
 
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चांदनी में खड़ी रहती है साइकिल-वैन
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चाँदनी में खड़ी रहती है साइकिल-वैन
चांदनी में खड़ा रहता है,
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चाँदनी में खड़ा रहता है,
 
सिर पर कफ़न ओढ़े-- वैन चालक
 
सिर पर कफ़न ओढ़े-- वैन चालक
  

20:36, 2 जनवरी 2010 के समय का अवतरण

जब-जब मैंने उठाई है क़लम
प्यार के बोल लिखने के लिए,
मेरे काग़ज़ के पन्नों पर आकर लेट जाती है,
मरे हुए लोगों की लाशें !
काग़ज़ के पन्नों पर,
उसे बीचोंबीच से चीरते हुए,
बहती रहती है नहर !
चाँदनी में खड़ी रहती है साइकिल-वैन
चाँदनी में खड़ा रहता है,
सिर पर कफ़न ओढ़े-- वैन चालक


बांग्ला से अनुवाद : सुशील गुप्ता