भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"प्रेम और नमक / सांत्वना श्रीकांत" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(' प्रेम और नमक रूपक हैं दोनो का उपयोग किया गया ज़रूर...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
+
{{KKGlobal}}
 +
{{KKRachna
 +
|रचनाकार=सांत्वना श्रीकांत
 +
}}
 +
{{KKCatKavita}}
 +
<poem>
 
प्रेम और नमक
 
प्रेम और नमक
 
रूपक हैं
 
रूपक हैं
पंक्ति 14: पंक्ति 19:
 
मान कर
 
मान कर
 
अवहेलित कर दिया गया..
 
अवहेलित कर दिया गया..
 +
</poem>

08:52, 16 नवम्बर 2022 के समय का अवतरण

प्रेम और नमक
रूपक हैं
दोनो का उपयोग किया गया
 ज़रूरत के हिसाब से
‘स्वादानुसार’
तेज नमक से छाले हुए
और कम नमक बेस्वाद लगा
जब रिस्ते में फफूँद लगने की
आशंका हुई तो
नमक बढ़ा दिया गया।
तृप्ति की अनुभूति पर
खारापन बहुत बढ़ गया है
मान कर
अवहेलित कर दिया गया..