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लेकर सूरजउतरा है आँगन में।खुले हज़ारों नए झरोखेदर्पण जैसे मन में।।पार किए हैंबीहड़ वन केनुकीले हमने शूलपीछे छोड़ीउड़ी देर तकथी जो राह में धूल।पंछी बनकर उतर पड़े हैं हम अब नील गगन में।।बीत गया जोलेकर उसकोआँसू कौन बहाएनए साल मेंनई आस कीदुनिया एक बनाएँबरसेगा घर-घर उजियारासबके ही जीवन में।
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