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"हम देखेंगे / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़" के अवतरणों में अंतर
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रुई की तरह उड़ जाएँगे<br> | रुई की तरह उड़ जाएँगे<br> | ||
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जब धरती धड़ धड़ धड़केगी<br> | जब धरती धड़ धड़ धड़केगी<br> | ||
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जब बिजली कड़ कड़ कड़केगी<br> | जब बिजली कड़ कड़ कड़केगी<br> | ||
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हम अहल-ए-सफा, मरदूद-ए-हरम<br> | हम अहल-ए-सफा, मरदूद-ए-हरम<br> | ||
मसनद पे बिठाए जाएंगे<br> | मसनद पे बिठाए जाएंगे<br> | ||
सब ताज उछाले जाएंगे<br> | सब ताज उछाले जाएंगे<br> | ||
सब तख्त गिराए जाएंगे<br> | सब तख्त गिराए जाएंगे<br> | ||
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और राज करेगी खुल्क-ए-ख़ुदा<br> | और राज करेगी खुल्क-ए-ख़ुदा<br> | ||
जो मैं भी हूँ और तुम भी हो | जो मैं भी हूँ और तुम भी हो |
19:04, 14 नवम्बर 2008 का अवतरण
हम देखेंगे
लाजिम है कि हम भी देखेंगे
वो दिन कि जिसका वादा है
जो लौह-ए-अजल में लिखा है
जब जुल्म ए सितम के कोह-ए-गरां
रुई की तरह उड़ जाएँगे
दम महकूमों के पाँव तले
जब धरती धड़ धड़ धड़केगी
और अहल-ए-हिकम के सर ऊपर
जब बिजली कड़ कड़ कड़केगी
हम अहल-ए-सफा, मरदूद-ए-हरम
मसनद पे बिठाए जाएंगे
सब ताज उछाले जाएंगे
सब तख्त गिराए जाएंगे
और राज करेगी खुल्क-ए-ख़ुदा
जो मैं भी हूँ और तुम भी हो