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"दानव / सुबोध सरकार / दिविक रमेश" के अवतरणों में अंतर

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छापने वाले भी, संकलन कविताओं के ।  
 
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पढ़ते नहीं कविता  
 
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विश्वविद्यालतों के आचार्य भी ।
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विश्वविद्यालयों के आचार्य भी ।
  
 
तो क्या  
 
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20:21, 27 जून 2023 के समय का अवतरण

पढ़ता नहीं कविता
मछली का व्यापारी,
ना ही
पढ़ता है कविता
शहद का व्यापारी,
मरणासन्न युवक
तुम भी तो नहीं पढ़ते कविता !
ना ही पढ़ते हैं ज्योति बाबू कविता ।

पढ़ते नहीं कविता
छापने वाले भी, संकलन कविताओं के ।
पढ़ते नहीं कविता
विश्वविद्यालयों के आचार्य भी ।

तो क्या
पढ़ते हैं हर कविता, दानव ही ?
तो क्या
ख़रीदते हैं दानव ही
पुस्तकें कविताओं की ?

अनुवाद : दिविक रमेश