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14:18, 16 फ़रवरी 2010 के समय का अवतरण
अजब-ग़जब से शस्त्र संभाले
थाम कलम की बेंट
आलोचक जी करने निकले
कविता का आखेट ।
शब्दों का सागर मथ डाला
सब-कुछ डाला फेंट
भाँति-भाँति के अर्थों से
करवाई दुर्लभ भेंट ।
इष्ट साधकर महामहिम ने
बस्ता लिया समेट
जो कुछ कवि ने किया-धरा था
सब-कुछ मटियामेट ।
रचनाकाल : दिसम्बर, 2000