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बारह बरस गुज़र चुके हैं आज तक | बारह बरस गुज़र चुके हैं आज तक | ||
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और इस तरह अपने सौभाग्य को भी चकमा देता है । | और इस तरह अपने सौभाग्य को भी चकमा देता है । | ||
13:48, 27 अगस्त 2023 का अवतरण
बारह बरस गुज़र चुके हैं आज तक
वो आकुलताओं का नीला मोती मुँह में डाल लेता है ।
और इस तरह अपने सौभाग्य को भी चकमा देता है ।
बिटिया के लिए आख़िरी
कुछ शब्द कहता है ...
और जितना समय पलक झपकने में लगता है
उसे याद करने के लिए, बस, बचा उतना समय ।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल जनविजय
अब यही कविता मूल अँग्रेज़ी में पढ़िए
Rita Dove
Anniversary
Twelve years to the day
He puts the blue worry bead into his mouth.
The trick is to swallow your good luck,too
Last words
to a daughter…
And a wink to remember him by