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"बाढ़ में बाँस / इन्दु जैन" के अवतरणों में अंतर

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18:52, 9 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

बाढ़ डूबी झोंपड़ियों
के आसमान पर
हेलिकॉटर उड़ान भरता है
दया के क़तरे टपकाता हुआ
बाढ़ बढ़ाता हुआ

बाँस लेकर जूझ रही है
झोपड़ी
फिर खड़ी होने को
टीन की चद्दर खड़खड़ाती है
छप्पर के धुएं से
आसमान में
आग लग जाती है