"उसकी आँखें खुली रहनी चाहिए थीं / देवेश पथ सारिया" के अवतरणों में अंतर
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पर उसने लगाई है | पर उसने लगाई है | ||
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मृत्यु से महीने भर पहले | मृत्यु से महीने भर पहले | ||
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इस बार उसका बच्चा भी तस्वीर में है | इस बार उसका बच्चा भी तस्वीर में है | ||
− | बेटे ने शायद पहली बार | + | बेटे ने शायद पहली बार पहना है |
− | जेब में लाल रूमाल | + | जेब में लाल रूमाल वाला कोट |
बेटा भद्र पुरुष बन रहा है | बेटा भद्र पुरुष बन रहा है | ||
वह और उसका पति मुस्कुरा रहे हैं | वह और उसका पति मुस्कुरा रहे हैं | ||
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इस बार वह आभूषणों के रोब में है | इस बार वह आभूषणों के रोब में है | ||
एक गर्वीली अधखुली मुस्कान है | एक गर्वीली अधखुली मुस्कान है | ||
− | थोड़ी फुकरापंती तो बनती है! | + | थोड़ी फुकरापंती तो बनती है ! |
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उसने यह ज़ाहिर करती तस्वीर डाली है | उसने यह ज़ाहिर करती तस्वीर डाली है | ||
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वह छतरी की छाँव में है | वह छतरी की छाँव में है | ||
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पर उसकी आँखें पूरी तरह खुली हैं | पर उसकी आँखें पूरी तरह खुली हैं | ||
फूलों वाली पोशाक और झुमकों में | फूलों वाली पोशाक और झुमकों में | ||
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जबकि आज आसमान में रंग दिख रहे हैं | जबकि आज आसमान में रंग दिख रहे हैं | ||
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− | वह सरोवर वाले | + | वह सरोवर वाले मन्दिर में घूमने गई है |
− | उसने | + | उसने लम्बी उम्र की दुआ माँगी है |
− | पति और बच्चे के | + | पति और बच्चे के लिए । |
'''19 फ़रवरी 2018 | '''19 फ़रवरी 2018 | ||
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एक दूसरा महँगा हार है | एक दूसरा महँगा हार है | ||
फिर वही परिचित रोब | फिर वही परिचित रोब | ||
− | थोड़ी फुकरापंती तो बनती है भाई! | + | थोड़ी फुकरापंती तो बनती है, भाई ! |
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हिल स्टेशन घूमने आई है | हिल स्टेशन घूमने आई है | ||
बच्चा थोड़ा और छोटा है | बच्चा थोड़ा और छोटा है | ||
− | पति कुछ और | + | पति कुछ और हैण्डसम दिख रहा है |
वह कुछ और युवा लग रही है | वह कुछ और युवा लग रही है | ||
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'''02 मई 2017 | '''02 मई 2017 | ||
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जिसमें उसकी आँखें मिंच गई हैं | जिसमें उसकी आँखें मिंच गई हैं | ||
उसे सिर्फ़ ख़ुली आँखों वाली तस्वीर डालनी चाहिए थी | उसे सिर्फ़ ख़ुली आँखों वाली तस्वीर डालनी चाहिए थी | ||
− | उसकी आँखें खुली रहनी चाहिए | + | उसकी आँखें खुली रहनी चाहिए थीं । |
'''18 अगस्त 2015 | '''18 अगस्त 2015 | ||
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समुद्र किनारे की रेत पर | समुद्र किनारे की रेत पर | ||
उसका बच्चा अभी चलना सीख रहा है | उसका बच्चा अभी चलना सीख रहा है | ||
− | माँ-बाप ने बच्चे का एक-एक हाथ पकड़ा | + | माँ-बाप ने बच्चे का एक-एक हाथ पकड़ा है । |
'''04 मार्च 2014 | '''04 मार्च 2014 | ||
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रिसॉर्ट के बाहर | रिसॉर्ट के बाहर | ||
− | पौधों पर ताजमहल का डिज़ायन बना | + | पौधों पर ताजमहल का डिज़ायन बना है । |
'''11 अक्टूबर 2012 | '''11 अक्टूबर 2012 | ||
वह और उसका पति बहुत युवा दिख रहे हैं | वह और उसका पति बहुत युवा दिख रहे हैं | ||
− | + | कमेण्ट में किसी ने उसे भाभी पुकारा है | |
मतलब वह ब्याही जा चुकी है | मतलब वह ब्याही जा चुकी है | ||
विवाह की कोई तस्वीर पब्लिक नहीं है | विवाह की कोई तस्वीर पब्लिक नहीं है | ||
मई में विवाह की वर्षगाँठ के हिसाब से | मई में विवाह की वर्षगाँठ के हिसाब से | ||
उसके विवाह को पाँच महीने हुए हैं | उसके विवाह को पाँच महीने हुए हैं | ||
− | चार उज्ज्वल नेत्रों में अथाह सपने भरे | + | चार उज्ज्वल नेत्रों में अथाह सपने भरे हैं । |
'''30 अगस्त 2012 | '''30 अगस्त 2012 | ||
− | यह उसकी | + | यह उसकी अन्तिम (दरअस्ल पहली) उपलब्ध तस्वीर है |
− | वह | + | वह अम्बरसर में है |
− | + | स्वर्णमन्दिर के बाहर खड़ी हुई | |
यहाँ एक और विशाल सरोवर है | यहाँ एक और विशाल सरोवर है | ||
स्वर्णिम अध्यात्म की शरण में | स्वर्णिम अध्यात्म की शरण में | ||
− | वह बिल्कुल रोबदार नहीं दिख रही | + | वह बिल्कुल रोबदार नहीं दिख रही है । |
* बंगाल विधानसभा चुनाव २०२१ और रवीन्द्रनाथ ठाकुर का सन्दर्भ है यहाँ | * बंगाल विधानसभा चुनाव २०२१ और रवीन्द्रनाथ ठाकुर का सन्दर्भ है यहाँ | ||
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09:30, 26 दिसम्बर 2023 के समय का अवतरण
कोरोना से गुज़र गई एक अपरिचित की फ़ेसबुक प्रोफ़ाइल से गुज़रते हुए
08 मई 2021
सत्ता है मछली की आँख
और दोनों कर्ता-धर्ता
अर्जुन और ठाकुर* बने थे
चूक गया तीर
मछली की देह के तार-तार रेशे
दहलीजें पार कर आँखों में आ पड़े हैं
एक रेशा आ लगा था उसे भी
अन्ततः
आज वह हार गई है
अतिसूक्ष्म वायरस से
वैसे
आज ही थी
उसकी शादी की सालगिरह भी !
01 अप्रैल 2021
ट्रोलिंग के इस युग में
मूर्ख दिवस को
कौन लगाता है भला
पति के साथ अपनी तस्वीर ?
पर उसने लगाई है
दोनों ने ट्विनिंग की है
काले कपड़ों में
मृत्यु से महीने भर पहले
वह बहुत ख़ुश है ।
12 जनवरी 2021
इस बार उसका बच्चा भी तस्वीर में है
बेटे ने शायद पहली बार पहना है
जेब में लाल रूमाल वाला कोट
बेटा भद्र पुरुष बन रहा है
वह और उसका पति मुस्कुरा रहे हैं
क्षितिज पर रोशनी है ।
07 नवम्बर 2020
पहली बार वह साड़ी में दिखी है
उसके गले में सोने का ख़ूब मोटा मंगलसूत्र है
और एक पतली चेन भी
इस बार वह आभूषणों के रोब में है
एक गर्वीली अधखुली मुस्कान है
थोड़ी फुकरापंती तो बनती है !
31 मार्च 2020
मुआ वायरस दाख़िल हो चुका है देश में
सुगबुगाहट अब खलबली बन रही है
उसने यह ज़ाहिर करती तस्वीर डाली है
कि वह घर की चहारदीवारी में ठहर
संक्रमण फैलने से बचाएगी ।
06 जनवरी 2020
फ़िलहाल उसका हत्यारा
या तो देश में नहीं पहुँचा है
या विजय-रथ पर सवार है
वह कहीं घूमने गई है
जापानी पोशाक पहने पुतले के हाथ में छतरी है
वह छतरी की छाँव में है
बच्चा उसका बैठा है —
ध्यान-मुद्रा में ।
20 दिसम्बर 2019
धूप से उसके बच्चे की आँखें चुंधिया रही हैं
पर उसकी आँखें पूरी तरह खुली हैं
फूलों वाली पोशाक और झुमकों में
वह जँच रही है ।
15 अगस्त 2019
यह उसकी इकलौती श्वेत-श्याम तस्वीर है
ऐसा भी नहीं कि कोई पुरानी तस्वीर हो यह
जबकि आज आसमान में रंग दिख रहे हैं
मुखिया ने लालक़िले से भाषण दिया है ।
02 सितम्बर 2018
वह सरोवर वाले मन्दिर में घूमने गई है
उसने लम्बी उम्र की दुआ माँगी है
पति और बच्चे के लिए ।
19 फ़रवरी 2018
गले में इस बार
एक दूसरा महँगा हार है
फिर वही परिचित रोब
थोड़ी फुकरापंती तो बनती है, भाई !
03 जुलाई 2017
हिल स्टेशन घूमने आई है
बच्चा थोड़ा और छोटा है
पति कुछ और हैण्डसम दिख रहा है
वह कुछ और युवा लग रही है
हवा से उसके बाल उड़ रहे हैं ।
02 मई 2017
उसकी मृत्यु से लगभग
चार साल पहले का समय है
और उसने यह कैसी तस्वीर डाली है
जिसमें उसकी आँखें मिंच गई हैं
उसे सिर्फ़ ख़ुली आँखों वाली तस्वीर डालनी चाहिए थी
उसकी आँखें खुली रहनी चाहिए थीं ।
18 अगस्त 2015
इस तस्वीर की बाबत मालूम हुआ
कि सरोवर और पहाड़ के अतिरिक्त
समुद्र भी देख लिया था उसने
समुद्र किनारे की रेत पर
उसका बच्चा अभी चलना सीख रहा है
माँ-बाप ने बच्चे का एक-एक हाथ पकड़ा है ।
04 मार्च 2014
बच्चा अभी अस्तित्व में नहीं आया है
उसके हाथों में मेहँदी लगी है
कहीं घूमने आई है वह
रिसॉर्ट के बाहर
पौधों पर ताजमहल का डिज़ायन बना है ।
11 अक्टूबर 2012
वह और उसका पति बहुत युवा दिख रहे हैं
कमेण्ट में किसी ने उसे भाभी पुकारा है
मतलब वह ब्याही जा चुकी है
विवाह की कोई तस्वीर पब्लिक नहीं है
मई में विवाह की वर्षगाँठ के हिसाब से
उसके विवाह को पाँच महीने हुए हैं
चार उज्ज्वल नेत्रों में अथाह सपने भरे हैं ।
30 अगस्त 2012
यह उसकी अन्तिम (दरअस्ल पहली) उपलब्ध तस्वीर है
वह अम्बरसर में है
स्वर्णमन्दिर के बाहर खड़ी हुई
यहाँ एक और विशाल सरोवर है
स्वर्णिम अध्यात्म की शरण में
वह बिल्कुल रोबदार नहीं दिख रही है ।
- बंगाल विधानसभा चुनाव २०२१ और रवीन्द्रनाथ ठाकुर का सन्दर्भ है यहाँ