"तारा बलेको रात / मोमिला" के अवतरणों में अंतर
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− | + | मेरो कविताको रोमान्टिक मुर्र्च्छना | |
− | मेरो | + | यो रात |
− | + | शब्दको किनारबाट भागेर, म- | |
− | + | तिम्रा वक्ररेखाहरूको भुमरीमा फसेको छु | |
− | + | यतिखेर मलाई | |
− | + | भुमरीको ठोक्कर र गहिराइ दुवै प्यारो लागेको छ | |
− | + | शब्दसंग शब्दको टक्करमा | |
+ | केवल शब्दकै आविष्कार | ||
+ | प्रकृतिको शालीन विद्रोह | ||
+ | यो रात | ||
+ | मलाई चित्रबस्तीमै मौन रहन देऊ | ||
+ | समयको भव्य सुस्केरा | ||
+ | यो रात | ||
+ | कतै पुगिन्छ कि भनेर | ||
+ | म तिम्रो चित्रमा | ||
+ | मेरो चेतनाको विनिर्मित कालो पहाड उक्लिरहेछु | ||
+ | चित्रको षडङ्गमा | ||
+ | तिमी कहांनेर छौ ⁄ | ||
+ | पीडाहरूको आतसबाजी | ||
+ | यो रात | ||
+ | म, तिम्रो पीडाको गन्धले | ||
+ | औधी पुलकित छु | ||
+ | दुइ ताराबीचको दूरीमा | ||
+ | कति पीडाहरू अटाउन सक्छन् | ||
+ | जीवनभन्दा पनि दिव्य मृत्यु | ||
+ | यो रात | ||
+ | यही दूरी मीठो लागेको छ | ||
+ | तारा बलेको यो मलामी रात ⁄ | ||
+ | तिम्रो प्रेमको आकाश फैलिन | ||
+ | मलाई त्रि्रै समयको वेश्या हुने रहर छ | ||
+ | तिमीजस्तै, म | ||
+ | मेरो समयको आउटसाइडर’ हुं | ||
+ | … | ||
+ | तर सभ्यताको प्रेममय विश्राम | ||
+ | यो साइबर रात | ||
+ | सम्झेरै आत्महत्याको कुरा गर्नेछैन | ||
+ | रात त आखिर | ||
+ | उज्यालोमा छाया परेको न हो | ||
+ | ००० | ||
− | + | <small>(नोट : यो कविता प्रसिद्ध चित्रकार Vincent van Gogh को “The Starry Night” शीर्षकको चित्रमा आधारित छ ।)<small> | |
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13:46, 9 सितम्बर 2024 के समय का अवतरण
मेरो कविताको रोमान्टिक मुर्र्च्छना
यो रात
शब्दको किनारबाट भागेर, म-
तिम्रा वक्ररेखाहरूको भुमरीमा फसेको छु
यतिखेर मलाई
भुमरीको ठोक्कर र गहिराइ दुवै प्यारो लागेको छ
शब्दसंग शब्दको टक्करमा
केवल शब्दकै आविष्कार
प्रकृतिको शालीन विद्रोह
यो रात
मलाई चित्रबस्तीमै मौन रहन देऊ
समयको भव्य सुस्केरा
यो रात
कतै पुगिन्छ कि भनेर
म तिम्रो चित्रमा
मेरो चेतनाको विनिर्मित कालो पहाड उक्लिरहेछु
चित्रको षडङ्गमा
तिमी कहांनेर छौ ⁄
पीडाहरूको आतसबाजी
यो रात
म, तिम्रो पीडाको गन्धले
औधी पुलकित छु
दुइ ताराबीचको दूरीमा
कति पीडाहरू अटाउन सक्छन्
जीवनभन्दा पनि दिव्य मृत्यु
यो रात
यही दूरी मीठो लागेको छ
तारा बलेको यो मलामी रात ⁄
तिम्रो प्रेमको आकाश फैलिन
मलाई त्रि्रै समयको वेश्या हुने रहर छ
तिमीजस्तै, म
मेरो समयको आउटसाइडर’ हुं
…
तर सभ्यताको प्रेममय विश्राम
यो साइबर रात
सम्झेरै आत्महत्याको कुरा गर्नेछैन
रात त आखिर
उज्यालोमा छाया परेको न हो
०००
(नोट : यो कविता प्रसिद्ध चित्रकार Vincent van Gogh को “The Starry Night” शीर्षकको चित्रमा आधारित छ ।)