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− | + | सपनाहरु झरेर नांगीइसकेको छ त्यो रुख | |
− | + | अनि हेर्छ एकपटक ऊ आफैलाई, | |
− | + | सपनाहरु झरेर नांगीइसकेको छ ऊ पनि | |
− | + | भरेर बोरा पात सपनाहरुले बाँध्छ टमक्क | |
− | + | र खोल्छ अर्को प्लाष्टिकको बोरा । | |
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19:06, 13 सितम्बर 2024 के समय का अवतरण
मध्यरातमा
चीसो हावाका निरन्तर झोक्काहरुले
झारेका पातहरु
एकाबिहानै सोहर्दै एक ठिटो
मुसुक्क हाँस्छ, फ्याक्दै बिहानी बाफ मुखबाट
‘मर्निङ’।
कठाङ्रगीएका ती गोरा हातहरुले
ती पहेला पातहरु
कालो प्लाष्टिकका बोराहरुभित्र कोच्दा
पातहरुसंग संगै
उसका चिसिएका सपनाहरु पनि
एकाएक खाँदिन्छन बोराभित्र ।
पात टिप्नु, पात टिपिरहनु
पात टिप्दै टिप्दै थाक्नु
पात टिप्दै टिप्दै थाकिरहनु
जीवन बित्नु, जीवन बितिरहनु जस्तै ।
थकित पातहरु, थकित बोराहरु
थकित ठिटो हेर्छ माथि
त्यो रुखलाई
जसका पातहरु ऊ टिपिरहेछ
सपनाहरु झरेर नांगीइसकेको छ त्यो रुख
अनि हेर्छ एकपटक ऊ आफैलाई,
सपनाहरु झरेर नांगीइसकेको छ ऊ पनि
भरेर बोरा पात सपनाहरुले बाँध्छ टमक्क
र खोल्छ अर्को प्लाष्टिकको बोरा ।
०००