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"तुझसे मिलना / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’" के अवतरणों में अंतर

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पा जाना।
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सपना क्या टूटा कि
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असीम हाहाकार में
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पाने और खोने का
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यही क्रूर सिलसिला
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हासिल है जीवन का
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हे प्रिय!
  
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04:21, 11 दिसम्बर 2024 के समय का अवतरण

तुझसे मिलना
तुझमें समा जाना
अनिर्वचनीय तृप्ति
पा जाना।
सपना क्या टूटा कि
असीम हाहाकार में
खो जाना
पाने और खोने का
यही क्रूर सिलसिला
हासिल है जीवन का
हे प्रिय!

13.5.2023