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गोरष कहैं सुणौं रे भौंदू, अंरड अँमीं कत सींचौ । | गोरष कहैं सुणौं रे भौंदू, अंरड अँमीं कत सींचौ । | ||
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+ | ना कोई बारू , ना कोई बँदर, चेत मछँदर, | ||
+ | आप तरावो आप समँदर, चेत मछँदर | ||
+ | निरखे तु वो तो है निँदर, चेत मछँदर चेत ! | ||
+ | धूनी धाखे है अँदर, चेत मछँदर | ||
+ | कामरूपिणी देखे दुनिया देखे रूप अपारा | ||
+ | सुपना जग लागे अति प्यारा चेत मछँदर ! | ||
+ | सूने शिखर के आगे आगे शिखर आपनो, | ||
+ | छोड छटकते काल कँदर , चेत मछँदर ! | ||
+ | साँस अरु उसाँस चला कर देखो आगे, | ||
+ | अहालक आया जगँदर, चेत मछँदर ! | ||
+ | देख दीखावा, सब है, धूर की ढेरी, | ||
+ | ढलता सूरज, ढलता चँदा, चेत मछँदर ! | ||
+ | चढो चाखडी, पवन पाँवडी,जय गिरनारी, | ||
+ | क्या है मेरु, क्या है मँदर, चेत मछँदर ! | ||
+ | गोरख आया ! | ||
+ | आँगन आँगन अलख जगाया, गोरख आया! | ||
+ | जागो हे जननी के जाये, गोरख आया ! | ||
+ | भीतर आके धूम मचाया, गोरख आया ! | ||
+ | आदशबाद मृदँग बजाया, गोरख आया ! | ||
+ | जटाजूट जागी झटकाया,गोरख आया ! | ||
+ | नजर सधी अरु, बिखरी माया,गोरख आया ! | ||
+ | नाभि कँवरकी खुली पाँखुरी, धीरे, धीरे, | ||
+ | भोर भई, भैरव सूर गाया, गोरख आया ! | ||
+ | एक घरी मेँ रुकी साँस ते अटक्य चरखो, | ||
+ | करम धरमकी सिमटी काया,गोरख आया ! | ||
+ | गगन घटामेँ एक कडाको,बिजुरी हुलसी, | ||
+ | घिर आयी गिरनारी छाया,गोरख आया ! | ||
+ | लगी लै, लैलीन हुए, सब खो गई खलकत, | ||
+ | बिन माँगे मुक्ताफल पाया, गोरख आया ! | ||
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+ | "बिनु गुरु पन्थ न पाईए भूलै से जो भेँट, | ||
+ | जोगी सिध्ध होइ तब, जब गोरख से हौँ भेँट!" | ||
+ | (-- पद्मावत ) |
02:06, 2 दिसम्बर 2007 का अवतरण
कवि: गोरखनाथ
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रहता हमारै गुरु बोलेये, हम रहता का चेला ।
मन मानै तौ संगि फिरै, निंहतर फिरै अकेला ।।
अवधू ऐसा ग्यांन बिचारी तामैं झिलिमिलि जोति उजाली ।
जहाँ जोग तहाँ रोग न व्यापै, ऐसा परषि गुर करनां ।
तन मन सूं जे परचा नांही, तौ काहे को पचि मरनां ।।
काल न मिट्या जंजाल न छुट्या, तप करि हुवा न सूरा ।
कुल का नास करै मति कोई, जै गुर मिलै न पूरा ।।
सप्त धात्त का काया पींजरा, ता महिं जुगति बिन सूवा ।
सतगुर मिलै तो ऊबरै बाबू, नहीं तौ परलै हूवा ।
कंद्रप रूप काया का मंडण, अँबिरथा कांई उलींचौ ।
गोरष कहैं सुणौं रे भौंदू, अंरड अँमीं कत सींचौ । २०:३६, १ दिसम्बर २००७ (UTC)२०:३६, १ दिसम्बर २००७ (UTC)२०:३६, १ दिसम्बर २००७ (UTC)२०:३६, १ दिसम्बर २००७ (UTC)२०:३६, १ दिसम्बर २००७ (UTC)२०:३६, १ दिसम्बर २००७ (UTC)२०:३६, १ दिसम्बर २००७ (UTC)२०:३६, १ दिसम्बर २००७ (UTC)२०:३६, १ दिसम्बर २००७ (UTC)२०:३६, १ दिसम्बर २००७ (UTC)२०:३६, १ दिसम्बर २००७ (UTC)२०:३६, १ दिसम्बर २००७ (UTC)२०:३६, १ दिसम्बर २००७ (UTC)२०:३६, १ दिसम्बर २००७ (UTC)२०:३६, १ दिसम्बर २००७ (UTC)२०:३६, १ दिसम्बर २००७ (UTC)२०:३६, १ दिसम्बर २००७ (UTC)208.102.209.199 २०:३६, १ दिसम्बर २००७ (UTC) ना कोई बारू , ना कोई बँदर, चेत मछँदर, आप तरावो आप समँदर, चेत मछँदर निरखे तु वो तो है निँदर, चेत मछँदर चेत ! धूनी धाखे है अँदर, चेत मछँदर कामरूपिणी देखे दुनिया देखे रूप अपारा सुपना जग लागे अति प्यारा चेत मछँदर ! सूने शिखर के आगे आगे शिखर आपनो, छोड छटकते काल कँदर , चेत मछँदर ! साँस अरु उसाँस चला कर देखो आगे, अहालक आया जगँदर, चेत मछँदर ! देख दीखावा, सब है, धूर की ढेरी, ढलता सूरज, ढलता चँदा, चेत मछँदर ! चढो चाखडी, पवन पाँवडी,जय गिरनारी, क्या है मेरु, क्या है मँदर, चेत मछँदर ! गोरख आया ! आँगन आँगन अलख जगाया, गोरख आया! जागो हे जननी के जाये, गोरख आया ! भीतर आके धूम मचाया, गोरख आया ! आदशबाद मृदँग बजाया, गोरख आया ! जटाजूट जागी झटकाया,गोरख आया ! नजर सधी अरु, बिखरी माया,गोरख आया ! नाभि कँवरकी खुली पाँखुरी, धीरे, धीरे, भोर भई, भैरव सूर गाया, गोरख आया ! एक घरी मेँ रुकी साँस ते अटक्य चरखो, करम धरमकी सिमटी काया,गोरख आया ! गगन घटामेँ एक कडाको,बिजुरी हुलसी, घिर आयी गिरनारी छाया,गोरख आया ! लगी लै, लैलीन हुए, सब खो गई खलकत, बिन माँगे मुक्ताफल पाया, गोरख आया !
"बिनु गुरु पन्थ न पाईए भूलै से जो भेँट, जोगी सिध्ध होइ तब, जब गोरख से हौँ भेँट!" (-- पद्मावत )