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"ग़द्दारे-क़ौम और वतन / सीमाब अकबराबादी" के अवतरणों में अंतर
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− | किया था | + | किया था जम’अ जाँबाज़ों ने जिसको जाँ-फ़रोशी से |
रुपहले चन्द टुकडों पर वो इज़्ज़त बेच दी तूने | रुपहले चन्द टुकडों पर वो इज़्ज़त बेच दी तूने | ||
− | कोई तुझ-सा भी | + | कोई तुझ-सा भी बे-ग़ैरत ज़माने में कहाँ होगा? |
− | भरे बाज़ार में तक़दीरे मिल्लत बेच दी तूने | + | भरे बाज़ार में तक़दीरे-मिल्लत बेच दी तूने |
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08:45, 20 फ़रवरी 2012 के समय का अवतरण
किया था जम’अ जाँबाज़ों ने जिसको जाँ-फ़रोशी से
रुपहले चन्द टुकडों पर वो इज़्ज़त बेच दी तूने
कोई तुझ-सा भी बे-ग़ैरत ज़माने में कहाँ होगा?
भरे बाज़ार में तक़दीरे-मिल्लत बेच दी तूने