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"दाने / केदारनाथ सिंह" के अवतरणों में अंतर
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11:58, 19 जनवरी 2009 का अवतरण
नहीं
हम मण्डी नहीं जाएंगे
खलिहान से उठते हुए
कहते हैं दाने॔
जाएंगे तो फिर लौटकर नहीं आएंगे
जाते- जाते
कहते जाते हैं दाने
अगर लौट कर आये भी
तो तुम हमे पहचान नहीं पाओगे
अपनी अन्तिम चिट्ठी में
लिख भेजते हैं दाने
इसके बाद महीनों तक
बस्ती में
कोई चिट्ठी नहीं आती।
रचनाकाल : 1984