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"हाशिए पर दुनिया / अनूप सेठी" के अवतरणों में अंतर

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यह दुनिया उनकी है
 
यह दुनिया उनकी है

22:17, 4 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

यह दुनिया उनकी है
वे नहीं जानते
यह दुनिया मेरी भी है
बार-बार मैं हाशिए पर होता हूँ
वे बीचोंबीच

सब चक्की पीसते हैँ

वक्त दोफाड़ होकर निकलता है
फड़फड़ाता हुआ और मरा हुआ
मैं फड़फड़ाते टुकड़े लेकर
हवा की तरह दौड़ता हूँ
गुस्सैल बादल की तरह गिराता हूँ

वे मरे हुए टुकड़ों की छतरियाँ तान लेते हैं

सीली ज़मीन पर ढीठ कुकुरमुत्ते
मिशनरियों की तरह
आँखों के डोडे मटकाकर बुलाते हैं
आओ सब मिल पीसें चक्कियाँ

टाँगें चौड़ाकर चलते
वे नहीं छोड़ते चौधराहट

ये दुनिया उनकी है
वे नहीं जानते
यह दुनिया मेरी भी है
                             (1989)