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"आस्थाओं की गीत / ओमप्रकाश सारस्वत" के अवतरणों में अंतर

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सारी बस्ती आतंकित है सार शहर  
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सारी बस्ती आतंकित है  
उदास सारी घाटी  
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सारा शहर  
कर्फ्यू के घर काट रही  
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उदास  
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सारी घाटी  
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कर्फ्यू के घर
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काट रही  
 
दिन रात
 
दिन रात
  

10:21, 23 जनवरी 2009 के समय का अवतरण

सारी बस्ती आतंकित है
सारा शहर
उदास
सारी घाटी
कर्फ्यू के घर
काट रही
दिन रात

जितने भी
सदभावों के थे
नदी
फूल
झरने
जहरीले
मौसम में
घुट-घुट
लगे सांस
भऱने

साझा
आकुल
दिवस बावले
पगलाई-सी
शाम

रिश्ते सारे
यात्री
हो गए
बचा मात्र
संताप
अपने घर में
अपनों से ही
अपनों को
संत्रास
 गांव का दुश्मन
शहर हो गया
शहर का दुश्मन
गांव

चिन्तामग्न
चिनार
खड़े हैं
केसर-मन
क्षयशील
सब के
दुख में
सूख रही है
अम्मां-सी डलझील
दिन-दिन
पल-पल
क्षीण
हो रहे
आस्थाओं के गात