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"तुम मसृण पाणि मम पड़ सहला सो गए प्राण ले मधु सपना। / प्रेम नारायण 'पंकिल'" के अवतरणों में अंतर

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तुम मसृण पाणि मम पड़ सहला सो गए प्राण ले मधु सपना।
 
तुम मसृण पाणि मम पड़ सहला सो गए प्राण ले मधु सपना।

18:34, 16 अगस्त 2009 के समय का अवतरण

 
तुम मसृण पाणि मम पड़ सहला सो गए प्राण ले मधु सपना।
जब कहा "विदा बेला प्रियतम कर लूँ सम श्लथ दुकूल अपना ।"
कुछ कर्ण-कुहर में कह विहँसे तुम विधु-किरणोपम तिलक दिए।
प्रिया परिरम्भण में उठे खनक छूम-छननन नूपुर दुभाषिये।
पूछ "सखियाँ पूछेंगी ही स्वामिनि कैसे बीती रजनी ?"
बोले "दर्पण में निज कपोल चूमना ललक शतधा सजनी ।"
है वही कृष्ण-वारुणी पिए बावरिया बरसाने वाली -
क्या प्राण निकलने पर आओगे जीवन वन के वनमाली।।११॥