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| अनुज सखा सब बोलनि आये | बन्दिन्ह अति पुनीत गुन गाये || | | अनुज सखा सब बोलनि आये | बन्दिन्ह अति पुनीत गुन गाये || |
| मनभावतो कलेऊ कीजै | तुलसिदास कहँ जूठनि दीजै || | | मनभावतो कलेऊ कीजै | तुलसिदास कहँ जूठनि दीजै || |
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− | प्रात भयो तात, बलि मातु बिधु-बदनपर
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− | मदन वारौं कोटि, उठो प्रान-प्यारे !
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− | सूत-मागध-बन्दि बदत बिरुदावली,
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− | द्वार सिसु अनुज प्रियतम तिहारे ||
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− | कोक गतसोक अवलोकि ससि छीनछबि,
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− | अरुनमय गगन राजत रुचि तारे |
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− | मनहुँ रबि बाल मृगराज तमनिकर-करि
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− | दलित, अति ललित मनिगन बिथारे ||
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− | सुनहु तमचुर मुखर,कीर कलहंस पिक
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− | केकि रव कलित, बोलत बिहँग बारे |
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− | मनहुँ मुनिबृन्द रघुबंसमनि! रावरे
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− | गुनत गुन आश्रमनि सपरिवारे ||
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− | सरनि बिकसित कञ्जपुञ्ज मकरन्दवर,
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− | मञ्जुतर मधुर मधुकर गुँजारे |
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− | मनहुँ प्रभुजनम सुनि चैन अमरावती,
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− | इन्दिरानन्द-मन्दिर सँवारे ||
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− | प्रेम-सम्मिलित बर बचन-रचना अकनि
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− | राम राजीव-लोचन उघारे |
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− | दास तुलसी मुदित, जननि करै आरती,
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− | सहज सुन्दर अजिर पाँव धारे ||
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− | जागिये कृपानिधान जानराय रामचन्द्र
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− | जननी कहै बार-बार भोर भयो प्यारे |
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− | राजिवलोचन बिसाल, प्रीति-बापिका मराल,
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− | ललित कमल-बदन ऊपर मदन कोटि बारे ||
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− | अरुन उदित, बिगत सरबरी, ससाङ्क किरनहीन,
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− | दीन दीपजोति, मलिन, दुति समूह तारे |
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− | मनहुँ ग्यानघन-प्रकास, बीते सब भव-बिलास
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− | आस-त्रास तिमिर तोष तरनि-तेज जारे ||
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− | बोलत खगनिकर मुखर मधुर करि प्रतीति सुनहु
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− | श्रवन, प्रानजीवन धन, मेरे तुम बारे |
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− | मनहुँ बेद-बन्दी-मुनिबृन्द-सूत-मागधादि
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− | बिरुद बदत "जय जय जय जयति कैटभारे||
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− | बिकसित कमलावली, चले प्रपुञ्ज चञ्चरीक,
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− | गुञ्जत कल कोमल धुनि त्यागि कञ्ज न्यारे |
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− | जनु बिराग पाइ सकल सोक-कूप-गृह बिहाइ
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− | भृत्य प्रेममत्त फिरत गुनत गुन तिहारे ||
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− | सुनत बचन प्रिय रसाल जागे अतिसय दयाल
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− | भागे जञ्जाल बिपुल, दुख-कदम्ब दारे |
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− | तुलसिदास अति अनन्द देखिकै मुखारबिन्द,
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− | छूटे भ्रमफन्द परम मन्द द्वन्द भारे ||
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− | बोलत अवनिप-कुमार ठाढ़े नृपभवन-द्वार,
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− | रुप-सील-गुन उदार जागहु मेरे प्यारे |
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− | बिलखित कुमुदनि, चकोर, चक्रवाक हरष भोर,
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− | करत सोर तमचुर खग, गुञ्जत अलि न्यारे ||
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− | रुचिर मधुर भोजन करि, भूषन सजि सकल अंग,
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− | सङ्ग अनुज बालक सब बिबिध बिधि सँवारे |
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− | करतल गहि ललित चाप भञ्जन रिपु-निकर-दाप,
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− | कटितट पटपीत, तून सायक अनियारे ||
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− | उपबन मृगया-बिहार-कारन गवने कृपाल,
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− | जननी मुख निरखि पुन्यपुञ्ज निज बिचारे |
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− | तुलसिदास सङ्ग लीजै, जानि दीन अभय कीजै
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− | दीजै मति बिमल गावै चरित बर तिहारे ||
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