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"कहानी / नरेन्द्र जैन" के अवतरणों में अंतर
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उन्होंने कहा | उन्होंने कहा |
02:52, 10 जुलाई 2010 के समय का अवतरण
उन्होंने कहा
वे सपने देखते हैं
जंगल में कोई जानवर कभी
सपना नहीं देखता
याचक-सी उनके आस-पास
मँडराती दुनिया को वे हर मोड़
पर तसल्ली देते हैं
'हम जो हैं तुम्हें आगे बढ़ाएंगे'
वह कम्बख़्त
एक क़दम आगे बढ़ती है
दस क़दम पीछे हटती है
एक सपने की ख़ातिर
औरत अपने गर्भ में
बच्चे को बढ़ता हुआ देखती है