भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"तो / लीलाधर जगूड़ी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
|||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
|रचनाकार=लीलाधर जगूड़ी | |रचनाकार=लीलाधर जगूड़ी | ||
− | |संग्रह = घबराये हुए शब्द / लीलाधर जगूड़ी | + | |संग्रह = घबराये हुए शब्द / लीलाधर जगूड़ी; चुनी हुई कविताएँ / लीलाधर जगूड़ी |
}} | }} | ||
<Poem> | <Poem> |
03:17, 8 जुलाई 2010 के समय का अवतरण
जब उसने कहा
कि अब सोना नहीं मिलेगा
तो मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ा
पर अगर वह कहता
कि अब नमक नहीं मिलेगा
तो शायद मैं रो पड़ता ।