"अर्ज़ी / उदय प्रकाश" के अवतरणों में अंतर
Pratishtha (चर्चा | योगदान) |
|||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
|संग्रह= रात में हारमोनिययम / उदय प्रकाश | |संग्रह= रात में हारमोनिययम / उदय प्रकाश | ||
}} | }} | ||
− | + | {{KKCatKavita}} | |
+ | <poem> | ||
शक की कोई वज़ह नहीं है | शक की कोई वज़ह नहीं है | ||
− | |||
मैं तो यों ही आपके शहर से गुज़रता | मैं तो यों ही आपके शहर से गुज़रता | ||
− | |||
उन्नीसवीं सदी के उपन्यास का कोई पात्र हूँ | उन्नीसवीं सदी के उपन्यास का कोई पात्र हूँ | ||
− | |||
मेरी आँखें देखती हैं जिस तरह के दॄश्य, बेफ़िक्र रहें | मेरी आँखें देखती हैं जिस तरह के दॄश्य, बेफ़िक्र रहें | ||
− | |||
वे इस यथार्थ में नामुमकिन हैं | वे इस यथार्थ में नामुमकिन हैं | ||
− | |||
मेरे शरीर से, ध्यान से सुनें तो | मेरे शरीर से, ध्यान से सुनें तो | ||
− | |||
आती है किसी भापगाड़ी के चलने की आवाज़ | आती है किसी भापगाड़ी के चलने की आवाज़ | ||
− | |||
मैं जिससे कर सकता था प्यार | मैं जिससे कर सकता था प्यार | ||
− | |||
विशेषज्ञ जानते हैं, वर्षों पहले मेरे बचपन के दिनों में | विशेषज्ञ जानते हैं, वर्षों पहले मेरे बचपन के दिनों में | ||
− | |||
शिवालिक या मेकल या विंध्य की पहाड़ियों में | शिवालिक या मेकल या विंध्य की पहाड़ियों में | ||
− | |||
अंतिम बार देखी गई थी वह चिड़िया | अंतिम बार देखी गई थी वह चिड़िया | ||
− | |||
जिस पेड़ पर बना सकती थी वह घोंसला | जिस पेड़ पर बना सकती थी वह घोंसला | ||
− | |||
विशेषज्ञ जानते हैं, वर्षों पहले अन्तिम बार देखा गया था वह पेड़ | विशेषज्ञ जानते हैं, वर्षों पहले अन्तिम बार देखा गया था वह पेड़ | ||
− | |||
अब उसके चित्र मिलते हैं पुरा-वानस्पतिक क़िताबों में | अब उसके चित्र मिलते हैं पुरा-वानस्पतिक क़िताबों में | ||
− | |||
तने के फ़ासिल्स संग्रहालयों में | तने के फ़ासिल्स संग्रहालयों में | ||
− | |||
पिछले सदी के बढ़ई मृत्यु के बाद भी | पिछले सदी के बढ़ई मृत्यु के बाद भी | ||
− | |||
याद करते हैं उसकी उम्दा इमारती लकड़ी | याद करते हैं उसकी उम्दा इमारती लकड़ी | ||
− | |||
मेरे जैसे लोग दरअसल संग्रहालयों के लायक भी नहीं हैं | मेरे जैसे लोग दरअसल संग्रहालयों के लायक भी नहीं हैं | ||
− | |||
कोई क्या करेगा आख़िर ऎसी वस्तु रखकर | कोई क्या करेगा आख़िर ऎसी वस्तु रखकर | ||
− | |||
जो वर्तमान में भी बहुतायत में पाई जाती है | जो वर्तमान में भी बहुतायत में पाई जाती है | ||
− | |||
वैसे हमारे जैसों की भी उपयोगिता है ज़माने में | वैसे हमारे जैसों की भी उपयोगिता है ज़माने में | ||
− | |||
रेत घड़ियों की तरह हम भी | रेत घड़ियों की तरह हम भी | ||
− | |||
बिल्कुल सही समय बताते थे | बिल्कुल सही समय बताते थे | ||
− | |||
हमारा सेल ख़त्म नहीं होता था | हमारा सेल ख़त्म नहीं होता था | ||
− | |||
पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण हमें चलाता था | पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण हमें चलाता था | ||
− | |||
हम बहुत कम खर्चीले थे | हम बहुत कम खर्चीले थे | ||
− | |||
हवा, पानी, बालू आदि से चल जाते थे | हवा, पानी, बालू आदि से चल जाते थे | ||
− | |||
अगर कोयला डाल दें हमारे पेट में | अगर कोयला डाल दें हमारे पेट में | ||
− | |||
तो यक़ीन करें हम अब भी दौड़ सकते हैं । | तो यक़ीन करें हम अब भी दौड़ सकते हैं । | ||
+ | </poem> |
23:50, 10 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
शक की कोई वज़ह नहीं है
मैं तो यों ही आपके शहर से गुज़रता
उन्नीसवीं सदी के उपन्यास का कोई पात्र हूँ
मेरी आँखें देखती हैं जिस तरह के दॄश्य, बेफ़िक्र रहें
वे इस यथार्थ में नामुमकिन हैं
मेरे शरीर से, ध्यान से सुनें तो
आती है किसी भापगाड़ी के चलने की आवाज़
मैं जिससे कर सकता था प्यार
विशेषज्ञ जानते हैं, वर्षों पहले मेरे बचपन के दिनों में
शिवालिक या मेकल या विंध्य की पहाड़ियों में
अंतिम बार देखी गई थी वह चिड़िया
जिस पेड़ पर बना सकती थी वह घोंसला
विशेषज्ञ जानते हैं, वर्षों पहले अन्तिम बार देखा गया था वह पेड़
अब उसके चित्र मिलते हैं पुरा-वानस्पतिक क़िताबों में
तने के फ़ासिल्स संग्रहालयों में
पिछले सदी के बढ़ई मृत्यु के बाद भी
याद करते हैं उसकी उम्दा इमारती लकड़ी
मेरे जैसे लोग दरअसल संग्रहालयों के लायक भी नहीं हैं
कोई क्या करेगा आख़िर ऎसी वस्तु रखकर
जो वर्तमान में भी बहुतायत में पाई जाती है
वैसे हमारे जैसों की भी उपयोगिता है ज़माने में
रेत घड़ियों की तरह हम भी
बिल्कुल सही समय बताते थे
हमारा सेल ख़त्म नहीं होता था
पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण हमें चलाता था
हम बहुत कम खर्चीले थे
हवा, पानी, बालू आदि से चल जाते थे
अगर कोयला डाल दें हमारे पेट में
तो यक़ीन करें हम अब भी दौड़ सकते हैं ।