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"मुझको भी तरकीब सिखा / गुलज़ार" के अवतरणों में अंतर
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साफ नजर आती हैं मेरे यार जुलाहे | साफ नजर आती हैं मेरे यार जुलाहे |
01:27, 7 सितम्बर 2006 का अवतरण
लेखक: गुलज़ार
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अकसर तुझको देखा है कि ताना बुनते
जब कोई तागा टूट गया या खत्म हुआ
फिर से बांध के
और सिरा कोई जोड़ के उसमे
आगे बुनने लगते हो
तेरे इस ताने में लेकिन
इक भी गांठ गिरह बुन्तर की
देख नहीं सकता कोई
मैनें तो एक बार बुना था एक ही रिश्ता
लेकिन उसकी सारी गिराहें
साफ नजर आती हैं मेरे यार जुलाहे