भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"कुछ पाने की चिंता / मोहन राणा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
छो (कुछ पाने की चिंता /मोहन राणा का नाम बदलकर कुछ पाने की चिंता / मोहन राणा कर दिया गया है)
(कोई अंतर नहीं)

17:34, 26 दिसम्बर 2009 का अवतरण

अपने ही विचारों में उलझता

यहाँ वहाँ

क्या तुम्हें भी ऐसा अनुभव हुआ कभी,

जो अब याद नहीं


बात किसी अच्छे मूड से हुई थी

कि लगा कोई पंक्ति पूरी होगी

पर्ची के पीछे

उस पल साँस ताज़ी लगी

और दुनिया नई,

यह सोचा

और साथ हो गई कुछ पाने की चिंता


मैं धकेलता रहा वह और पास आती गई,

अच्छा विचार नहीं बचा सकता

मुझे अपने आप से भी,

उसे खोना चाहता हूँ

नहीं जीना चाहता

किसी और का अधूरा सपना


30.8.2006