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विरह के दो रंग / रंजना भाटिया

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{{KKRachna
|रचनाकार=रंजना भाटिया
कि
विरह का यह रंग
सिर्फ़ मेरे लिए नही है ....   
सही ग़लत की उलझन में
जवाब दे जिंदगी
तू इतनी बेदर्द क्यों है ?..
 
</poem>
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