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15:00, 25 फ़रवरी 2009 का अवतरण
सप्ताह की कविता
शीर्षक: अब देखिये न मेरी कारगुज़ारी
रचनाकार: अज्ञेय
अब देखिये न मेरी कारगुज़ारी कि मैं मँगनी के घोड़े पर सवारी पर ठाकुर साहब के लिए उन की रियाया से लगान और सेठ साहब के लिए पंसार-हट्टे की हर दुकान से किराया वसूल कर लाया हूँ । थैली वाले को थैली तोड़े वाले को तोड़ा -और घोड़े वाले को घोड़ा सब को सब का लौटा दिया अब मेरे पास यह घमंड है कि सारा समाज मेरा एहसानमन्द है ।