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"लहौल-पुराण / तुलसी रमण" के अवतरणों में अंतर
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मैने राजा गेपंग से मांगी- | मैने राजा गेपंग से मांगी- |
01:06, 20 फ़रवरी 2009 का अवतरण
मैने राजा गेपंग से मांगी-
पहनने के लिए भेड़ और
खाने के लिए भेड़
स्वाद के लिए
जौ के सत्तू
और मस्ती के लिए
छंग का गिलास
उसने कहा- तथास्तु !
राजा गेपंग से मैने मांगी-
दवा के लिए कुठ की जड़
गाय और
चूल्हे के मुँह के लिए
चंगमा की टहनी
काग़ज़ के लिए
भोज-पत्र का पेड़
उसने सहर्ष कहा- तथास्तु !
मैने लाहौल के
शीर्ष लोक-देवता से
और भी बहुत-कुछ मांगा
उत्तर मिला- तथास्तु !
अंत में मैने
लाहौल के लोगों के लिए मांगा-
भयंकर हिमपात से
थोड़ा सा भय
वर्षा ऋतु में
कटोरी-भर बारिश का पानी
और ताज़ा अख़बार
एकाएक रुक गया
उल्लास में डोलता भव्य चँवर
आदिम-देवता का मुँह बंद था
नियति के द्वार पर
देखने वाला था
उसका चेहरा