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03:10, 5 मार्च 2009 का अवतरण
रचनाकार: |
भगवान नटवर जी की जय-जय गिरिधारी प्रभु, जय-जय गिरिधारी।
दानव-दल बलिहारी, गो-द्विज हितकारी॥ जय ..
जय गोविन्द दयानिधि, गोवर्धन-धारी।
वंशीधर बनवारी, ब्रज-जन प्रियकारी॥ जय ..
गणिका-गीध- अजामिल-गजपति-भयहारी।
आरत-आरति-हारी, जय मंगल-कारी॥ जय ..
गोपालक, गीतेश्वर, द्रौपदी-दु:खहारी।
शबर-सुता-सुखकारी, गौतम-तिय तारी॥ जय ..
जन-प्रहलाद-प्रमोदक, नरहरि-तनुधारी।
जन-मन-रजनकारी, दिति-सुत-संहारी॥ जय ..
टिट्टिभ-सुत संरक्षक, रक्षक मंझारी।
पाण्डु-सुवन-शुभकारी, कौरव-मद-हारी॥ जय ..
मन्मथ-मन्मथ मोहन, मुरली-रव-कारी।
वृन्दाविपिन-बिहारी, यमुना-तट-चारी॥ जय ..
अघ-बक-बकी उधारक, तृणावर्त-तारी।
विधि-सुरपति मदहारी, कंस-मुक्तिकारी॥ जय ..
शेष, महेश, सरस्वती गुण गावत हारी।
कल कीरति विस्तारी भक्त-भीति-हारी॥ जय ..
नारायण शरणागत, अति अघ अघहारी।
पद-रज पावनकारी चाहत चितहारी॥ जय ..