"घर की याद / भवानीप्रसाद मिश्र" के अवतरणों में अंतर
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आज पानी गिर रहा है, | आज पानी गिर रहा है, | ||
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बहुत पानी गिर रहा है, | बहुत पानी गिर रहा है, | ||
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रात भर गिरता रहा है, | रात भर गिरता रहा है, | ||
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प्राण मन घिरता रहा है, | प्राण मन घिरता रहा है, | ||
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घर नज़र में तिर रहा है, | घर नज़र में तिर रहा है, | ||
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घर कि मुझसे दूर है जो, | घर कि मुझसे दूर है जो, | ||
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घर खुशी का पूर है जो, | घर खुशी का पूर है जो, | ||
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घर कि घर में चार भाई, | घर कि घर में चार भाई, | ||
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मायके में बहिन आई, | मायके में बहिन आई, | ||
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बहिन आई बाप के घर, | बहिन आई बाप के घर, | ||
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हाय रे परिताप के घर! | हाय रे परिताप के घर! | ||
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घर कि घर में सब जुड़े है, | घर कि घर में सब जुड़े है, | ||
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सब कि इतने कब जुड़े हैं, | सब कि इतने कब जुड़े हैं, | ||
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चार भाई चार बहिनें, | चार भाई चार बहिनें, | ||
− | + | भुजा भाई प्यार बहिनें, | |
− | भुजा भाई | + | |
और माँ बिन-पढ़ी मेरी, | और माँ बिन-पढ़ी मेरी, | ||
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दुख में वह गढ़ी मेरी | दुख में वह गढ़ी मेरी | ||
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माँ कि जिसकी गोद में सिर, | माँ कि जिसकी गोद में सिर, | ||
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रख लिया तो दुख नहीं फिर, | रख लिया तो दुख नहीं फिर, | ||
− | + | माँ कि जिसकी स्नेह-धारा, | |
− | माँ कि जिसकी | + | |
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का यहाँ तक भी पसारा, | का यहाँ तक भी पसारा, | ||
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उसे लिखना नहीं आता, | उसे लिखना नहीं आता, | ||
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जो कि उसका पत्र पाता। | जो कि उसका पत्र पाता। | ||
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पिताजी जिनको बुढ़ापा, | पिताजी जिनको बुढ़ापा, | ||
− | + | एक क्षण भी नहीं व्यापा, | |
− | एक क्षण भी नहीं | + | जो अभी भी दौड़ जाएँ, |
− | + | ||
− | जो अभी भी | + | |
− | + | ||
जो अभी भी खिलखिलाएँ, | जो अभी भी खिलखिलाएँ, | ||
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मौत के आगे न हिचकें, | मौत के आगे न हिचकें, | ||
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शेर के आगे न बिचकें, | शेर के आगे न बिचकें, | ||
− | |||
बोल में बादल गरजता, | बोल में बादल गरजता, | ||
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काम में झंझा लरजता, | काम में झंझा लरजता, | ||
− | |||
आज गीता पाठ करके, | आज गीता पाठ करके, | ||
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दंड दो सौ साठ करके, | दंड दो सौ साठ करके, | ||
− | |||
खूब मुदगर हिला लेकर, | खूब मुदगर हिला लेकर, | ||
− | |||
मूठ उनकी मिला लेकर, | मूठ उनकी मिला लेकर, | ||
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जब कि नीचे आए होंगे, | जब कि नीचे आए होंगे, | ||
− | |||
नैन जल से छाए होंगे, | नैन जल से छाए होंगे, | ||
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हाय, पानी गिर रहा है, | हाय, पानी गिर रहा है, | ||
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घर नज़र में तिर रहा है, | घर नज़र में तिर रहा है, | ||
− | |||
चार भाई चार बहिनें, | चार भाई चार बहिनें, | ||
− | + | भुजा भाई प्यार बहिने, | |
− | भुजा भाई | + | |
− | + | ||
खेलते या खड़े होंगे, | खेलते या खड़े होंगे, | ||
− | |||
नज़र उनको पड़े होंगे। | नज़र उनको पड़े होंगे। | ||
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पिताजी जिनको बुढ़ापा, | पिताजी जिनको बुढ़ापा, | ||
− | + | एक क्षण भी नहीं व्यापा, | |
− | एक क्षण भी नहीं | + | |
− | + | ||
रो पड़े होंगे बराबर, | रो पड़े होंगे बराबर, | ||
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पाँचवे का नाम लेकर, | पाँचवे का नाम लेकर, | ||
− | |||
पाँचवाँ हूँ मैं अभागा, | पाँचवाँ हूँ मैं अभागा, | ||
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जिसे सोने पर सुहागा, | जिसे सोने पर सुहागा, | ||
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पिता जी कहते रहें है, | पिता जी कहते रहें है, | ||
+ | प्यार में बहते रहे हैं, | ||
− | + | आज उनके स्वर्ण बेटे, | |
− | + | लगे होंगे उन्हें हेटे, | |
− | + | क्योंकि मैं उनपर सुहागा | |
− | आज उनके | + | |
− | + | ||
− | लगे होंगे | + | |
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
बँधा बैठा हूँ अभागा, | बँधा बैठा हूँ अभागा, | ||
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और माँ ने कहा होगा, | और माँ ने कहा होगा, | ||
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दुख कितना बहा होगा, | दुख कितना बहा होगा, | ||
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आँख में किस लिए पानी, | आँख में किस लिए पानी, | ||
+ | वहाँ अच्छा है भवानी, | ||
− | + | वह तुम्हारा मन समझकर, | |
− | + | ||
− | + | ||
− | वह | + | |
− | + | ||
और अपनापन समझकर, | और अपनापन समझकर, | ||
− | + | गया है सो ठीक ही है, | |
− | गया | + | यह तुम्हारी लीक ही है, |
− | + | ||
− | यह | + | |
− | + | ||
पाँव जो पीछे हटाता, | पाँव जो पीछे हटाता, | ||
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कोख को मेरी लजाता, | कोख को मेरी लजाता, | ||
− | + | इस तरह होओ न कच्चे, | |
− | इस तरह होओ न | + | रो पड़ेंगे और बच्चे, |
− | + | ||
− | रो पड़ेंगे और | + | |
− | + | ||
पिताजी ने कहा होगा, | पिताजी ने कहा होगा, | ||
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हाय, कितना सहा होगा, | हाय, कितना सहा होगा, | ||
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कहाँ, मैं रोता कहाँ हूँ, | कहाँ, मैं रोता कहाँ हूँ, | ||
− | |||
धीर मैं खोता, कहाँ हूँ, | धीर मैं खोता, कहाँ हूँ, | ||
− | |||
हे सजीले हरी सावन, | हे सजीले हरी सावन, | ||
− | + | हे कि मेरी पुण्य पावन, | |
− | हे कि मेरी | + | |
− | + | ||
तुम बरस लो वे न बरसें, | तुम बरस लो वे न बरसें, | ||
− | |||
पाँचवे को वे न तरसें, | पाँचवे को वे न तरसें, | ||
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मैं मजे़ में हूँ सही है, | मैं मजे़ में हूँ सही है, | ||
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घर नहीं हूँ बस यही है, | घर नहीं हूँ बस यही है, | ||
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किंतु यह बस बड़ा बस है, | किंतु यह बस बड़ा बस है, | ||
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इसी बस से सब विरस है, | इसी बस से सब विरस है, | ||
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किंतु उनसे यह न कहना, | किंतु उनसे यह न कहना, | ||
− | + | उन्हें देते धीर रहना, | |
− | + | उन्हें कहना लिख रहा हूँ, | |
− | + | उन्हें कहना पढ़ रहा हूँ, | |
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
काम करता हूँ कि कहना, | काम करता हूँ कि कहना, | ||
− | |||
नाम करता हूँ कि कहना, | नाम करता हूँ कि कहना, | ||
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चाहते है लोग कहना, | चाहते है लोग कहना, | ||
− | |||
मत करो कुछ शोक कहना, | मत करो कुछ शोक कहना, | ||
− | + | और कहना मस्त हूँ मैं, | |
− | और कहना | + | कातने में व्यस्त हूँ मैं, |
− | + | वज़न सत्तर सेर मेरा, | |
− | कातने में | + | |
− | + | ||
− | वज़न | + | |
− | + | ||
और भोजन ढेर मेरा, | और भोजन ढेर मेरा, | ||
− | |||
कूदता हूँ, खेलता हूँ, | कूदता हूँ, खेलता हूँ, | ||
− | |||
दुख डट कर ठेलता हूँ, | दुख डट कर ठेलता हूँ, | ||
− | + | और कहना मस्त हूँ मैं, | |
− | और कहना | + | यों न कहना अस्त हूँ मैं, |
− | + | ||
− | यों न कहना | + | |
− | + | ||
हाय रे, ऐसा न कहना, | हाय रे, ऐसा न कहना, | ||
− | |||
है कि जो वैसा न कहना, | है कि जो वैसा न कहना, | ||
− | |||
कह न देना जागता हूँ, | कह न देना जागता हूँ, | ||
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आदमी से भागता हूँ, | आदमी से भागता हूँ, | ||
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कह न देना मौन हूँ मैं, | कह न देना मौन हूँ मैं, | ||
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खुद न समझूँ कौन हूँ मैं, | खुद न समझूँ कौन हूँ मैं, | ||
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देखना कुछ बक न देना, | देखना कुछ बक न देना, | ||
− | + | उन्हें कोई शक न देना, | |
− | + | ||
− | + | ||
हे सजीले हरे सावन, | हे सजीले हरे सावन, | ||
− | + | हे कि मेरे पण्य पावन, | |
− | हे कि मेरे | + | |
− | + | ||
तुम बरस लो वे न बरसे, | तुम बरस लो वे न बरसे, | ||
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पाँचवें को वे न तरसें। | पाँचवें को वे न तरसें। |
10:44, 1 अप्रैल 2009 का अवतरण
आज पानी गिर रहा है,
बहुत पानी गिर रहा है,
रात भर गिरता रहा है,
प्राण मन घिरता रहा है,
बहुत पानी गिर रहा है,
घर नज़र में तिर रहा है,
घर कि मुझसे दूर है जो,
घर खुशी का पूर है जो,
घर कि घर में चार भाई,
मायके में बहिन आई,
बहिन आई बाप के घर,
हाय रे परिताप के घर!
घर कि घर में सब जुड़े है,
सब कि इतने कब जुड़े हैं,
चार भाई चार बहिनें,
भुजा भाई प्यार बहिनें,
और माँ बिन-पढ़ी मेरी,
दुख में वह गढ़ी मेरी
माँ कि जिसकी गोद में सिर,
रख लिया तो दुख नहीं फिर,
माँ कि जिसकी स्नेह-धारा,
का यहाँ तक भी पसारा,
उसे लिखना नहीं आता,
जो कि उसका पत्र पाता।
पिताजी जिनको बुढ़ापा,
एक क्षण भी नहीं व्यापा,
जो अभी भी दौड़ जाएँ,
जो अभी भी खिलखिलाएँ,
मौत के आगे न हिचकें,
शेर के आगे न बिचकें,
बोल में बादल गरजता,
काम में झंझा लरजता,
आज गीता पाठ करके,
दंड दो सौ साठ करके,
खूब मुदगर हिला लेकर,
मूठ उनकी मिला लेकर,
जब कि नीचे आए होंगे,
नैन जल से छाए होंगे,
हाय, पानी गिर रहा है,
घर नज़र में तिर रहा है,
चार भाई चार बहिनें,
भुजा भाई प्यार बहिने,
खेलते या खड़े होंगे,
नज़र उनको पड़े होंगे।
पिताजी जिनको बुढ़ापा,
एक क्षण भी नहीं व्यापा,
रो पड़े होंगे बराबर,
पाँचवे का नाम लेकर,
पाँचवाँ हूँ मैं अभागा,
जिसे सोने पर सुहागा,
पिता जी कहते रहें है,
प्यार में बहते रहे हैं,
आज उनके स्वर्ण बेटे,
लगे होंगे उन्हें हेटे,
क्योंकि मैं उनपर सुहागा
बँधा बैठा हूँ अभागा,
और माँ ने कहा होगा,
दुख कितना बहा होगा,
आँख में किस लिए पानी,
वहाँ अच्छा है भवानी,
वह तुम्हारा मन समझकर,
और अपनापन समझकर,
गया है सो ठीक ही है,
यह तुम्हारी लीक ही है,
पाँव जो पीछे हटाता,
कोख को मेरी लजाता,
इस तरह होओ न कच्चे,
रो पड़ेंगे और बच्चे,
पिताजी ने कहा होगा,
हाय, कितना सहा होगा,
कहाँ, मैं रोता कहाँ हूँ,
धीर मैं खोता, कहाँ हूँ,
हे सजीले हरी सावन,
हे कि मेरी पुण्य पावन,
तुम बरस लो वे न बरसें,
पाँचवे को वे न तरसें,
मैं मजे़ में हूँ सही है,
घर नहीं हूँ बस यही है,
किंतु यह बस बड़ा बस है,
इसी बस से सब विरस है,
किंतु उनसे यह न कहना,
उन्हें देते धीर रहना,
उन्हें कहना लिख रहा हूँ,
उन्हें कहना पढ़ रहा हूँ,
काम करता हूँ कि कहना,
नाम करता हूँ कि कहना,
चाहते है लोग कहना,
मत करो कुछ शोक कहना,
और कहना मस्त हूँ मैं,
कातने में व्यस्त हूँ मैं,
वज़न सत्तर सेर मेरा,
और भोजन ढेर मेरा,
कूदता हूँ, खेलता हूँ,
दुख डट कर ठेलता हूँ,
और कहना मस्त हूँ मैं,
यों न कहना अस्त हूँ मैं,
हाय रे, ऐसा न कहना,
है कि जो वैसा न कहना,
कह न देना जागता हूँ,
आदमी से भागता हूँ,
कह न देना मौन हूँ मैं,
खुद न समझूँ कौन हूँ मैं,
देखना कुछ बक न देना,
उन्हें कोई शक न देना,
हे सजीले हरे सावन,
हे कि मेरे पण्य पावन,
तुम बरस लो वे न बरसे,
पाँचवें को वे न तरसें।