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"पुकारता चला हूँ मै / मेरे सनम" के अवतरणों में अंतर

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(नया पृष्ठ: पुकारता चला हूँ मै, गली-गली बहार की, बस, एक छाँव जुल्फ़ की, बस, एक नि...)
 
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पुकारता चला हूँ मै,
 
पुकारता चला हूँ मै,
 
 
गली-गली बहार की,
 
गली-गली बहार की,
 
 
बस, एक छाँव जुल्फ़ की,
 
बस, एक छाँव जुल्फ़ की,
 
 
बस, एक निगाह प्यार की,
 
बस, एक निगाह प्यार की,
  
 
पुकारता चला हँ मै,
 
पुकारता चला हँ मै,
 
 
गली-गली बहार की,
 
गली-गली बहार की,
 
 
बस, एक छाँव जुल्फ़ की,
 
बस, एक छाँव जुल्फ़ की,
 
 
बस एक निगाह प्यार की,
 
बस एक निगाह प्यार की,
 
 
पुकारता चला हँ मैं,
 
पुकारता चला हँ मैं,
  
 
ये दिल्लगी ये शोखियाँ सलाम की,
 
ये दिल्लगी ये शोखियाँ सलाम की,
 
 
यही तो बात हो रही है काम की,
 
यही तो बात हो रही है काम की,
 
 
कोई तो मुड़ के देख लेगा इस तरह,
 
कोई तो मुड़ के देख लेगा इस तरह,
 
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कोई नज़र तो होगी मेरे नाम की,
कोइ नज़र तो होगी मेरे नाम की,
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पुकारता चला हूँ मै,
 
पुकारता चला हूँ मै,
 
 
गली-गली बहार की,
 
गली-गली बहार की,
 
 
बस, एक छाँव जुल्फ़ की,
 
बस, एक छाँव जुल्फ़ की,
 
 
बस, एक निगाह प्यार की,
 
बस, एक निगाह प्यार की,
 
 
पुकारता चला हूँ मै,
 
पुकारता चला हूँ मै,
  
 
सुनी मेरी सदा तो किस यकीन से?
 
सुनी मेरी सदा तो किस यकीन से?
 
 
घटा उतर के आ गयी ज़मीन पे,
 
घटा उतर के आ गयी ज़मीन पे,
 
 
रही यही लगन तो ऎ दिले जवाँ,
 
रही यही लगन तो ऎ दिले जवाँ,
 
 
असर भी हो रहेगा एक हसीन पे,
 
असर भी हो रहेगा एक हसीन पे,
  
 
पुकारता चला हूँ मै,
 
पुकारता चला हूँ मै,
 
 
गली-गली बहार की,
 
गली-गली बहार की,
 
 
बस, एक छाँव जुल्फ़ की,
 
बस, एक छाँव जुल्फ़ की,
 
 
बस, एक निगाह प्यार की,
 
बस, एक निगाह प्यार की,
 
 
पुकारता चला हूँ मै।
 
पुकारता चला हूँ मै।
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10:29, 1 अप्रैल 2009 का अवतरण

पुकारता चला हूँ मै,
गली-गली बहार की,
बस, एक छाँव जुल्फ़ की,
बस, एक निगाह प्यार की,

पुकारता चला हँ मै,
गली-गली बहार की,
बस, एक छाँव जुल्फ़ की,
बस एक निगाह प्यार की,
पुकारता चला हँ मैं,

ये दिल्लगी ये शोखियाँ सलाम की,
यही तो बात हो रही है काम की,
कोई तो मुड़ के देख लेगा इस तरह,
कोई नज़र तो होगी मेरे नाम की,

पुकारता चला हूँ मै,
गली-गली बहार की,
बस, एक छाँव जुल्फ़ की,
बस, एक निगाह प्यार की,
पुकारता चला हूँ मै,

सुनी मेरी सदा तो किस यकीन से?
घटा उतर के आ गयी ज़मीन पे,
रही यही लगन तो ऎ दिले जवाँ,
असर भी हो रहेगा एक हसीन पे,

पुकारता चला हूँ मै,
गली-गली बहार की,
बस, एक छाँव जुल्फ़ की,
बस, एक निगाह प्यार की,
पुकारता चला हूँ मै।