Changes

मौज उड़ाते।
एक दिन डायबिटीज़ के पेशेंट बन जाने
कम से कमकहने को तो होताकि हमारा भी फ़ैमिली डॉक्टर हैस्टील की तोज़ोरी हैदो मंज़िल घर हैलक्ष्मी को उंगली पर नचाते और लोगों की आँखो में धूल झोककरइंकमटैक्स चुराते है!मगर यहाँ तो इंकम ही नहीं हैतो टैक्स क्या चुराएंगेचुराने के नाम परउधारी वालों से आँखे चुराएंगे!मगर अब उधार देने वाले भीइतने कसाई हो गए हैंकि हम उनकी नज़रों मेंबकरे के भाई हो गए हैं।सरकार भी क्या करें किस-किस को पकड़ेजिसे देखो वही कुछ न कुछ खा रहा है-व्यापारी सामान खा रहा हैठेकेदार पुल और मकान खा रहा हैबेईमान ईमान खा रहा हैऔर जिसे कुछ नहीं मिला वो आपके काँच खा रहा है।"हमने कहा-"यार खूब बोलते हो।"वे बोले-"यहीं बोल रहा हूँघर पर तो लड़कितों की माँ बोलती हैसिंहनी की तरह छाती पर डोलती हैअपनी किस्मत में तोफनफनाती हुई बीबीऔर दनदनाती हुई औलाद हैसच पूछो तोयही पूंजीवाद और समाजवाद के बीचफँसा हुआ बकरावाद है!"हमने पूछा-"बकरावाद?"वे बोले-"हाँ-हाँ बकरावाद!कभी शेर की तरह दहाड़ते हुएबारात ले कर गए थेअब बकरे की तरह मिमिया रहे हैंफ़र्क़ इतना हैकि बकरा एक झटके में हलाल होता हैऔर हम धीरे-धीरे हुए जा रहे हैं।