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"अलि रचो छंद / सोहनलाल द्विवेदी" के अवतरणों में अंतर

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अलि रचो छंद
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आज कण कण कनक कुंदन,
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आज तृण तृण  हरित चंदन,
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आज क्षण क्षण चरण वंदन
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विनय अनुनय लालसा है।
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आज वासन्ती उषा है।
  
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अलि रचो छंद
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आज आई मधुर बेला,
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अब करो मत निठुर खेला,
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मिलन का हो मधुर मेला
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आज अथरों में तृषा है।
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अलि रचो छंद  
आज कण कण कनक कुंदन,  <br>
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मधु के मधु ऋतु के सौरभ के,  
आज तृण तृण  हरित चंदन,  <br>
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उल्लास भरे अवनी नभ के,
आज क्षण क्षण चरण वंदन  <br>
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जडजीवन का हिम पिघल चले
विनय अनुनय लालसा है।  <br>
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हो स्वर्ण भरा प्रतिचरण मंद
आज वासन्ती उषा है। <br><br>
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अलि रचो छंद।
 
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आज आई मधुर बेला, <br>
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अब करो मत निठुर खेला,  <br>
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मिलन का हो मधुर मेला  <br>
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आज अथरों में तृषा है।  <br>
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आज वासंती उषा है। <br><br>
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मधु के मधु ऋतु के सौरभ के, <br>
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उल्लास भरे अवनी नभ के, <br>
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जडजीवन का हिम पिघल चले <br>
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हो स्वर्ण भरा प्रतिचरण मंद<br>
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अलि रचो छंद। <br><br>
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09:43, 17 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण

अलि रचो छंद
आज कण कण कनक कुंदन,
आज तृण तृण हरित चंदन,
आज क्षण क्षण चरण वंदन
विनय अनुनय लालसा है।
आज वासन्ती उषा है।

अलि रचो छंद
आज आई मधुर बेला,
अब करो मत निठुर खेला,
मिलन का हो मधुर मेला
आज अथरों में तृषा है।
आज वासंती उषा है।

अलि रचो छंद
मधु के मधु ऋतु के सौरभ के,
उल्लास भरे अवनी नभ के,
जडजीवन का हिम पिघल चले
हो स्वर्ण भरा प्रतिचरण मंद
अलि रचो छंद।