"नववर्ष / सोहनलाल द्विवेदी" के अवतरणों में अंतर
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− | दीनों दुखियों का त्राण लिये | + | दीनों दुखियों का त्राण लिये |
− | मानवता का कल्याण लिये, | + | मानवता का कल्याण लिये, |
− | स्वागत! नवयुग के नवल वर्ष! | + | स्वागत! नवयुग के नवल वर्ष! |
− | तुम आओ स्वर्ण-विहान लिये। | + | तुम आओ स्वर्ण-विहान लिये। |
− | संसार क्षितिज पर महाक्रान्ति | + | संसार क्षितिज पर महाक्रान्ति |
− | की ज्वालाओं के गान लिये, | + | की ज्वालाओं के गान लिये, |
− | मेरे भारत के लिये नई | + | मेरे भारत के लिये नई |
− | प्रेरणा नया उत्थान लिये; | + | प्रेरणा नया उत्थान लिये; |
− | मुर्दा शरीर में नये प्राण | + | मुर्दा शरीर में नये प्राण |
− | प्राणों में नव अरमान लिये, | + | प्राणों में नव अरमान लिये, |
− | स्वागत!स्वागत! मेरे आगत! | + | स्वागत!स्वागत! मेरे आगत! |
− | तुम आओ स्वर्ण विहान लिये! | + | तुम आओ स्वर्ण विहान लिये! |
− | युग-युग तक पिसते आये | + | युग-युग तक पिसते आये |
− | कृषकों को जीवन-दान लिये, | + | कृषकों को जीवन-दान लिये, |
− | कंकाल-मात्र रह गये शेष | + | कंकाल-मात्र रह गये शेष |
− | मजदूरों का नव त्राण लिये; | + | मजदूरों का नव त्राण लिये; |
− | श्रमिकों का नव संगठन लिये, | + | श्रमिकों का नव संगठन लिये, |
− | पददलितों का उत्थान लिये; | + | पददलितों का उत्थान लिये; |
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− | तुम आओ स्वर्ण विहान लिये! | + | तुम आओ स्वर्ण विहान लिये! |
− | सत्ताधारी साम्राज्यवाद के | + | सत्ताधारी साम्राज्यवाद के |
− | मद का चिर-अवसान लिये, | + | मद का चिर-अवसान लिये, |
− | दुर्बल को अभयदान, | + | दुर्बल को अभयदान, |
− | भूखे को रोटी का सामान लिये; | + | भूखे को रोटी का सामान लिये; |
− | जीवन में नूतन क्रान्ति | + | जीवन में नूतन क्रान्ति |
− | क्रान्ति में नये-नये बलिदान लिये, | + | क्रान्ति में नये-नये बलिदान लिये, |
− | स्वागत! जीवन के नवल वर्ष | + | स्वागत! जीवन के नवल वर्ष |
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09:55, 17 अक्टूबर 2009 का अवतरण
स्वागत! जीवन के नवल वर्ष
आओ, नूतन-निर्माण लिये,
इस महा जागरण के युग में
जाग्रत जीवन अभिमान लिये;
दीनों दुखियों का त्राण लिये
मानवता का कल्याण लिये,
स्वागत! नवयुग के नवल वर्ष!
तुम आओ स्वर्ण-विहान लिये।
संसार क्षितिज पर महाक्रान्ति
की ज्वालाओं के गान लिये,
मेरे भारत के लिये नई
प्रेरणा नया उत्थान लिये;
मुर्दा शरीर में नये प्राण
प्राणों में नव अरमान लिये,
स्वागत!स्वागत! मेरे आगत!
तुम आओ स्वर्ण विहान लिये!
युग-युग तक पिसते आये
कृषकों को जीवन-दान लिये,
कंकाल-मात्र रह गये शेष
मजदूरों का नव त्राण लिये;
श्रमिकों का नव संगठन लिये,
पददलितों का उत्थान लिये;
स्वागत!स्वागत! मेरे आगत!
तुम आओ स्वर्ण विहान लिये!
सत्ताधारी साम्राज्यवाद के
मद का चिर-अवसान लिये,
दुर्बल को अभयदान,
भूखे को रोटी का सामान लिये;
जीवन में नूतन क्रान्ति
क्रान्ति में नये-नये बलिदान लिये,
स्वागत! जीवन के नवल वर्ष
आओ, तुम स्वर्ण विहान लिये!