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और न खींचो रार!! | और न खींचो रार!! | ||
− | यूँ भी हम तुम | + | यूँ भी हम-तुम |
मिले देर से | मिले देर से | ||
जन्मों के फेरे में, | जन्मों के फेरे में, | ||
मिलकर भी अनछुए रह गए | मिलकर भी अनछुए रह गए | ||
− | देहों के घेरे | + | देहों के घेरे में। |
जग के घेरे ही क्या कम थे | जग के घेरे ही क्या कम थे | ||
अपने भी घेरे | अपने भी घेरे | ||
रच डाले, | रच डाले, | ||
− | + | लोक-लाज के पट क्या कम थे | |
डाल दिए | डाल दिए | ||
शंका के ताले? | शंका के ताले? | ||
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काल कोठरी | काल कोठरी | ||
मरण प्रतीक्षा | मरण प्रतीक्षा | ||
− | साथ-साथ रहने | + | साथ-साथ रहने के। |
सूली ऊपर सेज सजाई | सूली ऊपर सेज सजाई | ||
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पिया की | पिया की | ||
चौखट पर | चौखट पर | ||
− | कबिरा | + | कबिरा ने। |
मिलन महोत्सव | मिलन महोत्सव | ||
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सांझ घिरे मुरली, | सांझ घिरे मुरली, | ||
लहरों-लहरों बिखर बिखर कर | लहरों-लहरों बिखर बिखर कर | ||
− | रेत-रेत हो सुध | + | रेत-रेत हो सुध ली। |
− | स्वाति- | + | स्वाति-बूंद तुम बने |
कभी, मैं | कभी, मैं | ||
चातक-तृषा अधूरी, | चातक-तृषा अधूरी, | ||
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तपते हरसिंगार! | तपते हरसिंगार! | ||
मुखर मौन मनुहार!! | मुखर मौन मनुहार!! | ||
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00:09, 20 अप्रैल 2009 के समय का अवतरण
जीवन
बहुत-बहुत छोटा है,
लम्बी है तकरार!
और न खींचो रार!!
यूँ भी हम-तुम
मिले देर से
जन्मों के फेरे में,
मिलकर भी अनछुए रह गए
देहों के घेरे में।
जग के घेरे ही क्या कम थे
अपने भी घेरे
रच डाले,
लोक-लाज के पट क्या कम थे
डाल दिए
शंका के ताले?
कभी
काँपती पंखुडियों पर
तृण ने जो चुम्बन आँके,
सौ-सौ प्रलयों
झंझाओं में
जीवित है झंकार!
वह अनहद उपहार!!
केवल कुछ पल
मिले हमें यों
एक धार बहने के,
काल कोठरी
मरण प्रतीक्षा
साथ-साथ रहने के।
सूली ऊपर सेज सजाई
दीवानी मीराँ ने,
शीश काट धर दिया
पिया की
चौखट पर
कबिरा ने।
मिलन महोत्सव
दिव्य आरती
रोम-रोम ने गाई,
गगन-थाल में सूरज चन्दा
चौमुख दियना बार!
गूंजे मंगलचार!!
भोर हुए
हम शंख बन गए,
सांझ घिरे मुरली,
लहरों-लहरों बिखर बिखर कर
रेत-रेत हो सुध ली।
स्वाति-बूंद तुम बने
कभी, मैं
चातक-तृषा अधूरी,
सोनचम्पई गंध
बने तुम,
मैं हिरना कस्तूरी .
आज
प्राण जाने-जाने को,
अब तो मान तजो,
मानो,
नयन कोर से झरते टप-टप
तपते हरसिंगार!
मुखर मौन मनुहार!!