भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"अवशेष / ऋषभ देव शर्मा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 4: पंक्ति 4:
 
|संग्रह=
 
|संग्रह=
 
}}
 
}}
 +
{{KKCatKavita}}
 
<Poem>
 
<Poem>
 
रिश्ते सब टूट गए
 
रिश्ते सब टूट गए

20:10, 24 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

रिश्ते सब टूट गए
खून के,
दूध के
और परस्पर झूठे पानी के।

ठेके ही बाकी हैं
कुर्सी के,
धर्म के,
माफिया गिरोहों के।।