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"अहम् अस्मि / प्रताप सहगल" के अवतरणों में अंतर
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पहाड़ों की गुफ़ाओं में | पहाड़ों की गुफ़ाओं में |
19:35, 10 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण
पहाड़ों की गुफ़ाओं में
भागते चले जाना
अंधे घोड़ों की तरह
और शिलाखंडों पर
समय की स्याही से
लिख देना
अपना पैग़ाम
शताब्दी के नाम
या बिखेर देना रंगों के दरिया
पेड़ की जड़ों में
या भर देना
शून्य को
हज़ार-हज़ार सूरजों की लाली बन
या सोख लेना
समुद्र का खारापन
आचमन की मुद्रा में
और धरती की तहों में भर लेना
एक अविजित एहसास
बहुत मामूली से लगने वाले पलों का
आदमियत की अविरल बहती परम्परा में
ख़ुद को पहचानने की कोशिश ही तो है !