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"चार और पंक्तियाँ / प्रभाकर माचवे" के अवतरणों में अंतर
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जब दिल ने दिल को जान लिया <br> | जब दिल ने दिल को जान लिया <br> |
14:16, 27 जनवरी 2008 के समय का अवतरण
जब दिल ने दिल को जान लिया
जब अपना-सा सब मान लिया
तब ग़ैर-बिराना कौन बचा
यदि बचा सिर्फ़ तो मौन बचा !