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"तुम्हारे हाथ / अली सरदार जाफ़री" के अवतरणों में अंतर

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तुम्हारे हाथ
 
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तुम्हारे नर्म, हसीं, दिल-नवाज़ हाथ नहीं
 
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महक रहे हैं मिरे हाथ में बहार के हाथ
 
महक रहे हैं मिरे हाथ में बहार के हाथ

00:18, 6 नवम्बर 2009 का अवतरण

तुम्हारे नर्म, हसीं, दिल-नवाज़ हाथ नहीं
महक रहे हैं मिरे हाथ में बहार के हाथ
म्चल रही हैं हथेली में उँगलियों की लवें
तड़पती नब्ज़ कहे जा रही है प्यार की बात
पिघल रही है रुख़े-आतशी१ पे हिज्र२ की शाम
निकल रही है सियह ज़ुल्फ़ से विसाल की रात



१.तमतमाता हुआ चेहरा २.विछोह