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"वो दिल नवाज़ है नज़र शनास नहीं / नासिर काज़मी" के अवतरणों में अंतर
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सहर की आस तो है ज़िन्दगी की आस नहीं <br><br> | सहर की आस तो है ज़िन्दगी की आस नहीं <br><br> | ||
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बहुत दिनों से तबीयत मेरी उदास नहीं <br><br> | बहुत दिनों से तबीयत मेरी उदास नहीं <br><br> |
04:18, 28 नवम्बर 2009 का अवतरण
वो दिल नवाज़ है लेकिन नज़र-शनास नहीं
मेरा इलाज मेरे चारागर के पास नहीं
तड़प रहे हैं ज़बाँ पर कई सवाल मगर
मेरे लिये कोई शयान-ए-इल्तमास नहीं
तेरे उजालों में भी दिल काँप-काँप उठता है
मेरे मिज़ाज को आसूदगी भी रास नहीं
कभी-कभी जो तेरे क़ुर्ब में गुज़ारे थे
अब उन दिनों का तसव्वुर भी मेरे पास नहीं
गुज़र रहे हैं अजब मर्हलों से दीदा-ओ-दिल
सहर की आस तो है ज़िन्दगी की आस नहीं
मुझे ये डर है तेरी आरज़ू न मिट जाये
बहुत दिनों से तबीयत मेरी उदास नहीं