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"क़सम है आपके हर रोज़ रूठ जाने की / जोश मलीहाबादी" के अवतरणों में अंतर

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क़सम है आपके हर रोज़ रूठ जाने की
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के अब हवस है अजल को गले लगाने की
  
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वहाँ से है मेरी हिम्मत की इब्तिदा अल्लाह
के अब हवस है अजल को गले लगाने की<br><br>
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जो इंतिहा है तेरे सब्र आज़माने की
  
वहाँ से है मेरी हिम्मत की इब्तिदा अल्लाह <br>
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फूँका हुआ है मेरे आशियाँ का हर तिनका
जो इंतिहा है तेरे सब्र आज़माने की<br><br>
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फ़लक को ख़ू है तो है बिजलियाँ गिराने की
  
फूँका हुआ है मेरे आशियाँ का हर तिनका <br>
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हज़ार बार हुई गो मआलेगुल से दोचार
फ़लक को ख़ू है तो है बिजलियाँ गिराने की<br><br>
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कली से ख़ू न गई फिर भी मुस्कुराने की
  
हज़ार बार हुई गो मआलेगुल से दोचार <br>
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मेरे ग़ुरूर के माथे पे आ चली है शिकन
कली से ख़ू न गई फिर भी मुस्कुराने की<br><br>
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बदल रही है तो बदले हवा ज़माने की
  
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चिराग़-ए-दैर-ओ-हरम कब के बुझ गए ऐ जोश
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हनोज़ शम्मा है रोशन शराबख़ाने की
 
हनोज़ शम्मा है रोशन शराबख़ाने की

21:58, 5 जुलाई 2013 के समय का अवतरण

क़सम है आपके हर रोज़ रूठ जाने की
के अब हवस है अजल को गले लगाने की

वहाँ से है मेरी हिम्मत की इब्तिदा अल्लाह
जो इंतिहा है तेरे सब्र आज़माने की

फूँका हुआ है मेरे आशियाँ का हर तिनका
फ़लक को ख़ू है तो है बिजलियाँ गिराने की

हज़ार बार हुई गो मआलेगुल से दोचार
कली से ख़ू न गई फिर भी मुस्कुराने की

मेरे ग़ुरूर के माथे पे आ चली है शिकन
बदल रही है तो बदले हवा ज़माने की

चिराग़-ए-दैर-ओ-हरम कब के बुझ गए ऐ जोश
हनोज़ शम्मा है रोशन शराबख़ाने की