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"चींटी किसकी / कविता वाचक्नवी" के अवतरणों में अंतर

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पूछा चिल्ला कर
 
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‘माँ! चींटी राम की है या रावण की?
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" माँ ! चींटी राम की है या रावण की ? "
 
गिरे फंदे उठाती
 
गिरे फंदे उठाती
 
दादी ने
 
दादी ने
कह दिया - ‘राम की।’
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कह दिया - " राम की ",
 
गर्मी में भागती चींटियों को
 
गर्मी में भागती चींटियों को
 
इतना पानी पिलाया मैंने
 
इतना पानी पिलाया मैंने
वे डूब गई।
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वे डूब गईं ।
  
अकस्मात एक दिन
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अकस्मात् एक दिन
‘रावण की’ कहा माँ ने
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" रावण की " कहा माँ ने
 
और पैर पटक-पटक
 
और पैर पटक-पटक
मार दिया मैंने उन्हें।
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मार दिया मैंने उन्हें ।
  
हे राम! तुम्हारे नाम
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हे राम ! तुम्हारे नाम
 
कितनी चींटियाँ मारीं हमने
 
कितनी चींटियाँ मारीं हमने
और रावण!
+
और रावण !
तुम्हारे नाम जाने कितनी!
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तुम्हारे नाम जाने कितनी !
 
बेकसूर थीं सारी
 
बेकसूर थीं सारी
 
राम और रावण से जोड़
 
राम और रावण से जोड़
 
कभी प्यार से
 
कभी प्यार से
 
कभी घृणा से
 
कभी घृणा से
मारी गईं।
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मारी गईं ।
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फंदे उठाने वालो !
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सोचो तो  !!
  
फंदे उठाने वालो!
 
सोचो तो!!
 
 
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05:04, 28 सितम्बर 2011 के समय का अवतरण

चींटी किसकी?


आँगन में
पूछा चिल्ला कर
" माँ ! चींटी राम की है या रावण की ? "
गिरे फंदे उठाती
दादी ने
कह दिया - " राम की ",
गर्मी में भागती चींटियों को
इतना पानी पिलाया मैंने
वे डूब गईं ।

अकस्मात् एक दिन
" रावण की " कहा माँ ने
और पैर पटक-पटक
मार दिया मैंने उन्हें ।

हे राम ! तुम्हारे नाम
कितनी चींटियाँ मारीं हमने
और रावण !
तुम्हारे नाम जाने कितनी !
बेकसूर थीं सारी
राम और रावण से जोड़
कभी प्यार से
कभी घृणा से
मारी गईं ।

फंदे उठाने वालो !
सोचो तो  !!