भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"कान्हा कानरीया पेहरीरे / मीराबाई" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मीराबाई }} <poem> कान्हा कानरीया पेहरीरे॥ध्रु०॥ जम...) |
Pratishtha (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 2: | पंक्ति 2: | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
|रचनाकार=मीराबाई | |रचनाकार=मीराबाई | ||
− | }} <poem> | + | }} {{KKCatKavita}} |
+ | {{KKAnthologyKrushn}}<poem> | ||
कान्हा कानरीया पेहरीरे॥ध्रु०॥ | कान्हा कानरीया पेहरीरे॥ध्रु०॥ | ||
जमुनाके नीर तीर धेनु चरावे। खेल खेलकी गत न्यारीरे॥१॥ | जमुनाके नीर तीर धेनु चरावे। खेल खेलकी गत न्यारीरे॥१॥ |
19:54, 18 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण
कान्हा कानरीया पेहरीरे॥ध्रु०॥
जमुनाके नीर तीर धेनु चरावे। खेल खेलकी गत न्यारीरे॥१॥
खेल खेलते अकेले रहता। भक्तनकी भीड भारीरे॥२॥
बीखको प्यालो पीयो हमने। तुह्मारो बीख लहरीरे॥३॥
मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर। चरण कमल बलिहारीरे॥४॥