भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"उनींदे की लोरी (कविता) / गिरधर राठी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= गिरधर राठी }} <poem> साँप सुनें अपनी फुफकार और सो जा...) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 6: | पंक्ति 6: | ||
<poem> | <poem> | ||
साँप सुनें अपनी फुफकार और सो जाएँ | साँप सुनें अपनी फुफकार और सो जाएँ | ||
− | + | चींटियाँ बसा लें घर-बार और सो जाएँ | |
गुरखे कर जाएँ ख़बरदार और सो जाएँ | गुरखे कर जाएँ ख़बरदार और सो जाएँ | ||
</poem> | </poem> |
22:12, 22 जून 2009 का अवतरण
साँप सुनें अपनी फुफकार और सो जाएँ
चींटियाँ बसा लें घर-बार और सो जाएँ
गुरखे कर जाएँ ख़बरदार और सो जाएँ