भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"तेरा चेहरा / अनातोली परपरा" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) |
Pratishtha (चर्चा | योगदान) छो (तेरा चेहरा / अनातोली पारपरा का नाम बदलकर तेरा चेहरा / अनातोली परपरा कर दिया गया है) |
(कोई अंतर नहीं)
|
18:31, 24 जून 2009 का अवतरण
|
शरदकाल का दिन था पहला, पहला था हिमपात
धवल स्तूप से घर खड़े थे, चमक रही थी रात
पिरिदेलकिना स्टेशन पे था मुझे गाड़ी का इन्तज़ार
श्वेत पंखों-सा हिम झरे था, कोहरा था अपार
कोहरे में भी मुझे दीख पड़ा, तेरा चारु-लोचन भाल
तन्वंगी काया झलके थी, पीन-पयोधर थे उत्ताल
खिला हुआ था तेरा चेहरा जैसे चन्द्र अकास
याद मुझे है, प्रिया, तेरे मुखड़े का वह उजास