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"कविता / मंगलेश डबराल" के अवतरणों में अंतर

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कविता दिन-भर थकान जैसी थी
 
कविता दिन-भर थकान जैसी थी
  
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क्या तुमने खाना खाया रात को ?
 
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(रचनाकाल : 1978)
 
(रचनाकाल : 1978)

20:37, 18 अप्रैल 2012 के समय का अवतरण

कविता दिन-भर थकान जैसी थी

और रात में नींद की तरह

सुबह पूछती हुई :

क्या तुमने खाना खाया रात को ?

(रचनाकाल : 1978)